एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंसूरी बाईपास के चौड़ीकरण के मामले में सरकार को राहत देते हुए पेड़ों के प्रत्यारोपण पर लगी रोक को हटा दिया है और सरकार को निर्देश दिया कि पेड़ों का प्रत्यारोपण वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) की निगरानी में किया जायेगा। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने देहरादून निवासी आशीष कुमार गर्ग की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद शुक्रवार को ये निर्देश दिये। याचिकाकर्ता की ओर से देहरादून के जोगीवाला-खिरसाली- सहस्रधारा (मंसूरी बाईपास) के चौड़ीकरण के मामले को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि सड़क चौड़ीकरण की जद में दो हजार से अधिक पेड़ आ रहे हैं और पेड़ों के काटे जाने से राजधानी के पर्यावरण को नुकसान होगा। इनमें कुछ दुर्लभ प्रजाति के पेड़ भी हैं। इससे शहर के पर्यावरण पर असर पड़ेगा। सरकार अतिक्रमण को हटा कर भी सड़क चौड़ीकरण कर सकती है। सरकार की ओर से कहा गया कि शहर में बढ़ रहे यातायात के दबाव को कम करने के लिये इस रोड़ का चौड़ीकरण जरूरी है। इससे शहर में बढ़ रही भीडभाड़ पर नियंत्रण होगा और जनता को लाभ होगा। साथ ही प्रतिदिन लगने वाले जाम से निजात मिल सकेगी। इसके साथ ही कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने 22 जून 2022 को सरकार को 700 पेड़ों के प्रत्यारोपण के साथ ही रोड़ चौड़ीकरण के निर्देश दे दिये थे और लोक निर्माण विभाग को सड़क के दोनों ओर पेड़ लगाने के निर्देश भी दिये थे।
याचिकाकर्ता ने इस आदेश उच्चतम न्यायालय (एससी) में चुनौती दे डाली लेकिन शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को दुबारा उच्च न्यायालय भेज दिया। इसके बाद इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अगुवाई वाली पीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार पर्यावरण के नियमों के उल्लंघन के साथ ही वन संरक्षण अधिनियम, 1980 एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से पेड़ों के प्रत्यारोपण के तरीके, स्थान व समय को लेकर भी सवाल उठाये गये। इसके बाद अदालत ने पेड़ों के कटान के साथ ही प्रत्यारोपण पर रोक लगा दी थी। सरकार भी इसके बाद हरकत में आयी और महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने इस मामले की कमान अपने हाथ में ली। लंबी बहस के बाद अदालत ने इस मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अदालत के इस निर्णय से सरकार को बड़ी राहत मिली है और इससे साफ है कि अब मंसूरी बाईपास के चौड़ीकरण का रास्ता साफ हो गया है।