नैनीताल। उत्तराखंड में निकाय चुनावों में छह महीने से अधिक का समय लग सकता है। वर्तमान में निकाय चुनावों के लिये प्रक्रिया जारी है। शहरी विकास सचिव नितिन भदौरिया ने सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के समक्ष रखते हुए कहा कि निकायों और वार्डों का विस्तारीकरण, परिसीमन, आरक्षण संबंधी औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ में मोहम्मद अनीस और पत्रकार राजीव लोचन साह की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सनवाई हुई। शहरी विकास सचिव ने अदालत में पेश होकर कहा कि सरकार ने कुछ नये निकायों का गठन किया है जबकि कुछ को उच्चीकृत किया है। वर्तमान में निकायों और वार्डों का परिसीमन तथा आरक्षण की प्रक्रिया गतिमान है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर निकायों में पिछड़े वर्ग की जनसंख्या को लेकर सर्वे करने के लिए एकल सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया है। अभी तक आयोग की ओर से रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी है।
हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस वर्मा की अगुवाई में गठित आयोग का कार्यकाल छह माह के लिये विस्तारित किया गया है। आयोग द्वारा इसी माह अंत तक रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने की संभावना है। इसके बाद सरकार की ओर से आपत्तियां मांगी जायेंगी। औपचारिकताओं को पूरा करने के लिये कम से कम छह माह का समय लग सकता है। खंडपीठ ने सचिव और महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर का वक्तव्य रिकार्ड में लेेते हुए अगली सुनवाई के लिये 16 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है। साथ ही इस मामले में राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। विदित है कि प्रदेश में निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। सरकार ने नवम्बर में अधिसूचना जारी कर सभी निकायों को प्रशासकों के हवाले कर दिया है। पिछले साल दो दिंसंबर से उनमें प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है। दोनों याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर इसको चुनौती दी है। उन्होंने कहा गया कि सरकार निकाय चुनाव में विलंब कर रही है। याचिकाकर्ता साह की ओर से कहा गया कि निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति करना असंवैधानिक है। सरकार को कार्यकाल खत्म होने से पहले सभी प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए थी।