हल्द्वानी। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने उत्तराखंड स्थापना दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जिन ज्वलंत समस्याओं के लिए उत्तराखंड की नींव रखी गई थी, आज तक उन समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। उन्होंने आर्थिकी को मजबूत करने के लिए आधार पर्यटन, उद्यान और जल विद्युत परियोजनाओं से जोड़ने की वकालत करते हुए कहा कि अभी तक हम इस लक्ष्य को पाने में विफल रहे हैं। उन्होंने उच्च, मेडिकल और तकनीकी शिक्षा में अनुसंधान की कमी पर चिंता जताई, साथ ही शिक्षा में गुणवत्ता लाने पर बल दिया। उन्होंने निष्पक्ष परीक्षाओं को लेकर भर्ती एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाये। उन्होंने लोकायुक्त की नियुक्ति करने, पुलिस व्यवस्था में सुधार और परिसंपत्तियों के विवाद के समाधान की मांग की। सड़कों की बदहाल स्थित पर भी उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इससे पर्यटक अन्य स्थानों को पलायित हो रहे हैं। राज्य कर्ज की बोझ से निरंतर दब रहा है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य पर बढ़ते कर्ज का मामला उठाते हुए कहा कि 2016 में उत्तराखंड राज्य पर 40,000 करोड़ कर्ज था, जिसमें राज्य बनते वक्त का लगभग 11,000 करोड़ भी शामिल है। मगर पिछले 8 वर्षों में यह कर्ज 1 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है। साथ ही आय के संसाधन बढ़ाने का प्रयास नहीं किया गया है। 2016-17 में राजस्व वृद्धि दर 19.50 प्रतिशत वार्षिक से आज घटकर 10 प्रतिशत वार्षिक पर आ गई है। हंगर इंडेक्स में भी हमारी स्थिति चिंतनीय है। प्रति व्यक्ति आय 71,000 वार्षिक से 2014-15, 16 व 2017 में बढ़कर 1,73,000 प्रति व्यक्ति वार्षिक तक पहुंची थी, अब वह पिछले 6 वर्षों में 2 लाख के आस-पास ठहर गई है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बेरोजगारी देश में सर्वाधिक है। अग्निवीर योजना को उत्तराखंड के नौजवानों के लिए एक बड़ा धक्का सिद्ध हुई है। पलायन को रोकने के लिए पिछले 6 वर्षों में केवल पलायन आयोग बना है, पूर्ववर्ती सरकार द्वारा इस दिशा में प्रारंभ की गई कई योजनाओं को ठप कर या उनका स्वरूप बदलकर पलायन को और बढ़ाया है। मैदानी कृषि में ठहराव व पर्वतीय कृषि और बागवानी में आई चिंताजनक गिरावट बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों के समाधान के लिए सुविचारित योजना और संकल्प शक्ति का अभाव है। नेता प्रतिपक्ष यषपाल आर्य ने कहा कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों, अपनी सांस्कृतिक विरासत, मानव शक्ति और क्षमता के बल पर इन अहम चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।