

हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नैनीताल। उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर काबिज 4,365 अतिक्रमणकारियों में से मुट्ठीभर अतिक्रमणकारी ही शुक्रवार को उच्च न्यायालय पहुंचे और उन्होंने हस्तक्षेप याचिका दायर कर दावा प्रस्तुत किया है। न्यायमूर्ति शरत कुमार शर्मा की अगुवाई वाली पीठ ने उनके प्रार्थना पत्र को सुनवाई के लिये रिकार्ड में ले लिया। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने पिछले महीने 18 मई को अतिक्रमणकारियों को अंतिम मौका देते हुए दो सप्ताह के अंदर अपना दावा प्रस्तुत करने को कहा था। अदालत की ओर से कहा गया था कि वह सबको सुनने के बाद अंतिम निर्णय जारी करेगी। उसी के क्रम में आज 18 अतिक्रमणकारी अदालत पहुंचे। उन्होंने हस्तक्षेप याचिका दायर कर अपना दावा प्रस्तुत किया। अदालत ने सभी को सुनने के बाद उनके प्रार्थना पत्रों को रिकार्ड में ले लिया। हालांकि उन्हें फिलहाल कोई राहत नहीं दी है और न ही इस मामले में सुनवाई के लिये अगली तिथि तय की है। यह तय है कि अब अदालत अतिक्रमण के मामले में किसी अन्य के दावे पर कोई विचार नहीं करेगी और इन्हीं लोगों के मामले पर विचार करेगी। गौरतलब है कि एक अतिक्रमणकारी की ओर से आज हस्तक्षेप याचिका कर मामले को सुनवाई के लिये लेने का अनुरोध अदालत से किया लेकिन अदालत ने उस पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि निश्चित समय के बाद दाखिल की गयी याचिका पर कोई सुनवाई नहीं होगी।

यहां बता दें कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के मामले को हल्द्वानी के सामाजिक कार्यकर्ता रविशंकर जोशी की ओर से चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर 4365 अतिक्रमणकारियों की ओर से कब्जा किया गया है।
रेलवे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। इसके बाद उच्च न्यायालय की ओर से वर्ष 2016 में रेलवे को 10 सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के निर्देश दे दिये गये। इसी बीच अतिक्रमणकारी शीर्ष अदालत पहुंच गये। हालांकि यहां से उन्हें राहत नहीं मिल पायी और पुनः उच्च न्यायालय के समक्ष अपना वाद प्रस्तुत करने को कहा। जब इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई तो श्री जोशी की ओर से फिर से इस साल एक जनहित याचिका के माध्यम से इस मामले को चुनौती दी गयी। अदालत ने पूरे प्रकरण को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया लेकिन इसके बावजूद अतिक्रमणकारी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते रहे। इसके बाद अदालत ने सभी अतिक्रमणकारियों को अंतिम मौका देते हुए दो सप्ताह में अपना दावा प्रस्तुत करने को कहा।
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