हल्द्वानी। हाथ-पैर, कमर, जोड़ों के असहनीय दर्द से निजात दिलाने में नर्व ब्लॉक तकनीक कारगर साबित हो रही है। सी-आर्म और अल्ट्रासाउंड मशीन से देखकर सुई के माध्यम से नर्व में दवा देकर उसे ब्लॉक कर दिया जाता है। इससे दर्द महसूस नहीं होता है। पुराने दर्द में राहत दिलाने की इस तकनीक को नर्व ब्लॉक कहा जाता है। डॉक्टर सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के पीएमआर विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे डॉक्टर नितिन ने हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़ के बात करते हुए बताया कि नर्व ब्लॉक तकनीक उन मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है जो सर्जरी नहीं करा सकते। इससे जिस अंग में दर्द होता है, उसकी नर्व तक आसानी से पहुंच कर सही जगह दवा डाली जाती है। उन्होंने बताया कि नर्व में दवा देने कारण ये है कि उसी के जरिए संवेदना व दर्द का अनुभव होता है। नर्व को ब्लॉक करने के लिए न्यूरोलेटिक दवाएं दी जाती हैं, जो सामान्य दर्द निवारक दवाओं से अलग हैं। इन दवाओं से शरीर पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता है। इस तकनीक के जरिए हाथ-पैर, रीढ़ की हड्डी, पेट के दर्द से राहत मिल सकती है। नर्व ब्लॉकिंग तकनीक से मरीज का जीवन आसान हो जाता है और दर्द के साथ जी रहे व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता बढ़ जाती हैं। नर्व ब्लाकिंग तकनीक का सर्जरी के दौरान भी इस्तेमाल किया जाता है।
डॉ० नितिन ने बताया कि घुटने के अंदर नर्व में एक इंजेक्शन लगाकर दर्द से निजात दिलाई जा सकती है। आस्टियो आर्थराइटिस के मरीजों की जिंदगी दर्द से तड़पते हुए बीत जाती है। न तो वो चल पाते हैं और न ही उठ-बैठ। जिनके पास पैसा है वो लाखों रुपये खर्च कर घुटना बदलवा लेते हैं। जबकि गरीब मरीज की जिंदगी इस दर्द से प्रभावित हो जाती है। उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस के मरीज के घुटने में जेनीक्यूलर नर्व ब्लॉक कर दर्द से निजात दिलाई जा सकती है। इससे मरीज को लंबे समय तक दर्द से निजात मिल जाती है। इसके अलावा डिस्क प्रोलैप्स, स्लिप डिस्क या फिर स्पांडिलाइटिस के मरीजों को भी दर्द से निजात दिलाई जा सकती है। कमर के दर्द के मरीज में सबसे कारगर उपाय उस नर्व को ब्लॉक करना है, जिससे दर्द पैदा हो रहा है। इसमें मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर इपीड्यूरल नर्व ब्लॉक कर देते हैं। इसका असर 90 से 100 फीसदी होता है और मरीज को आराम मिल जाता है। सी-आर्म की सहायता से डिस्क की नर्व को देखकर ब्लॉक किया जाता है। ट्रांसक्यूटीनियस नर्व स्टिमुलेटर में डिस्क के ऊपर से मशीन लगाते हैं। जिससे नर्व को स्टिमुलेट करते हैं। इस तकनीक से उन मरीजों को ज्यादा फायदा होता है जिन्हें अधिकतर चिक चले जाने की दिक्कत होती है।