
एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड में ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पूर्व निदेशक प्रो. रविकांत के कार्यकाल में नियुक्तियों में हुई कथित अनियमितता व भाई भतीजावाद के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को सभी पक्षकारों से छह सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि केन्द्र सरकार की ओर से चिकित्सा में सुधार के लिये दिल्ली एम्स की तर्ज पर पटना, छत्तीसगढ़, भोपाल, उड़ीसा, जोधपुर व ऋषिकेश में छह शाखायें खोली गयीं। केन्द्र सरकार की ओर से इन संस्थानों में ग्रुप ए, बी व सी के पदों को भरने के लिये आरक्षण (रोस्टर) नियमावली तय की है। यह भी तय किया गया कि आरक्षण को किसी भी दशा में बदला नहीं जा सकेगा। एक श्रेणी की सीटों को दूसरे में परिवर्तित नहीं किया जा सकेगा लेकिन प्रो. रविकांत के कार्यकाल में अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति/जनजाति की सीटों की भर्ती में भारी अनियमितता की गयी। यही नहीं प्रक्रिया का पालन किये बिना अपने परिजनों, रिश्तेदारों व करीबी लोगों को प्रमुख पदों पर सीधी तैनाती दे दी गयी।
याचिका में निदेशक प्रो0 रविकांत की पत्नी डा0 बीना रवि का जिक्र करते हुए कहा गया कि उन्हें वर्ष 2017 में अवैध ढंग से सर्जरी में संविदा प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया। यही नहीं 25 सितंबर, 2020 तक नियमित भर्ती के लिये इस पद को विज्ञापित भी नहीं किया गया। इस पद पर आज तक स्थायी नियुक्ति नहीं हो पायी है।
प्रो. रविकांत के बहनोई को भी विजिटिंग फैकल्टी नियुक्त कर दिया गया। यौन उत्पीड़न के आरोप के चलते उन्हें दो साल में ही छोड़कर जाना पड़ा। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि निदेशक के एक अन्य करीबी एसपी अग्रवाल को भी बिना किसी साक्षात्कार व प्रक्रिया के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग में बिना किसी पद के तैनात कर दिया गया है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद उन्हें ईएनटी विभाग में संविदा पर तैनात कर दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीईसी) के अलावा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग सभी को इस मामले की शिकायत की गयी लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच व दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की गयी है। इस मामले में केन्द्र सरकार के साथ ही केन्द्रीय सतर्कता आयोग, निदेशक एम्स व पूर्व निदेशक रविकांत समेत कुल 33 लोगों को पक्षकार बनाया गया है। अदालत ने उन 28 लोगों को भी पक्षकार बनाया है जिन्हें विभिन्न पदों पर तैनात किया गया है।

