हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में भीषण आपदा के दौरान लापता हुए तीन लोगों का पांच महीने बाद भी पता नहीं चल पाने के कारण जिला प्रशासन की ओर से इसके जांच के आदेश दिये गये हैं। अब इन लोगों के लापता होने का सच मजिस्ट्रियल जांच से सामने आ सकेगा। पिछले साल 17 से 19 अक्टूबर के बीच उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में अतिवृष्टि के चलते भीषण आपदा आयी थी। मंडल में भारी तबाही एवं जानमाल का नुकसान हुआ था। खासकर नैनीताल जनपद को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। 19 अक्टूबर को जिले के रामगढ़ तहसील के सगुना एवं झूतिया गांव में क्रमशः एक मकान के जमींदोज होने तथा एक मकान नाले में बहने से दस लोग लापता हो गये थे। जिनमें नौ बिहारी मजदूर और एक स्थानीय नागरिक शामिल थे। आपदा के दौरान नौ बिहारी मजदूर एक कमरे में सो रहे थे।
प्रशासन की ओर से चलाये गये राहत एवं बचाव कार्य में सात बिहारी मजदूरों के शव बरामद हो गये थे और दो मजदूरों के अलावा एक स्थानीय नागरिक का आज तक कोई पता नहीं चल पाया। जिला प्रशासन की ओर से लापता लोगों की खोज के लिये मौके पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों को भी लगाया गया लेकिन फिर भी कोई सफलता हाथ नहीं लगी। जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की ओर से मंगलवार को अंततः लापता लोगों की खोज के लिये मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दे दिये गये। नैनीताल के उपजिलाधिकारी प्रतीक जैन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। जांच अधिकारी श्री जैन की ओर से लोगों से इस मामले में सहयोग करने और लापता लोगों के बारे में हर प्रकार की जानकारी देने का अनुरोध किया गया है।
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