- गैर-विवादित नामांतरण 30 दिनों में निस्तारित हों, जिलाधिकारी ने कहा – जनहित में लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं
नैनीताल। जनहित में भूमि स्वामियों के उत्तराधिकार (विरासत नामांतरण) प्रकरणों के त्वरित निस्तारण को लेकर जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने जिले के सभी उप जिलाधिकारियों, तहसीलदारों और राजस्व अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब विरासत नामांतरण के फैसले गांव की चौपालों में ही किए जाएंगे ताकि जनता को न्याय और राहत दोनों एक साथ मिल सके। डीएम रयाल ने कहा कि भूमि स्वामी के निधन के बाद नामांतरण में अनावश्यक देरी किसी भी स्थिति में अस्वीकार्य है, क्योंकि इससे खातेदारों को सरकारी योजनाओं, मुआवज़े और सामाजिक लाभों से वंचित होना पड़ता है। उन्होंने आदेश दिया कि अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में चौपाल लगाकर लंबित विरासत नामांतरण प्रकरणों का स्थलीय स्तर पर निस्तारण सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने उत्तर प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम-1901 की धारा 33 और 34 का हवाला देते हुए कहा कि जहां उत्तराधिकारी के संबंध में कोई विवाद न हो, वहां नामांतरण की प्रक्रिया तुरंत प्रारंभ की जाए और संबंधित अभिलेखों में प्रविष्टि कर 30 दिनों के भीतर निस्तारण पूर्ण किया जाए।
वहीं, यदि भूमि पर कोई व्यक्तिगत या कानूनी विवाद पाया जाता है, तो उसकी जांच कर प्रकरण को तहसील स्तर पर सुनवाई हेतु भेजा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि कई तहसीलों में गैर-विवादित नामांतरण प्रकरण अत्यधिक संख्या में लंबित हैं, जिससे खतौनियों का अद्यतन न होना एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती बन गया है। डीएम ने चेताया कि यह स्थिति अत्यंत खेदजनक है और यदि किसी भी अधिकारी के स्तर पर लापरवाही पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया कि आने वाले 20 दिनों के भीतर सभी ग्रामों में चौपालें आयोजित की जाएं, जहां जनता को नामांतरण की प्रक्रिया की जानकारी दी जाए और स्थल पर ही गैर-विवादित प्रकरणों का निस्तारण किया जाए। डीएम रयाल ने कहा कि नामांतरण की कार्यवाही अर्द्धन्यायिक प्रकृति की होती है, जिसका उद्देश्य खतौनियों को अद्यतन रखना और भूमि राजस्व निर्धारण में पारदर्शिता बनाए रखना है। इसलिए, गैर-विवादित प्रकरणों का त्वरित निस्तारण और विवादित मामलों में शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने अंत में स्पष्ट चेतावनी दी कि “जनहित के इन आदेशों में किसी भी स्तर की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।”









