एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) भर्ती घोटाले के प्रमुख आरोपी हाकम सिंह को सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के मामले में उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिल पायी है। अदालत ने अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही करने के सरकार के कदम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
इस मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की युगलपीठ में हुई। हाकम सिंह की पत्नी विशुली देवी की ओर से पुरोला के उपजिलाधिकारी के अतिक्रमण को तोड़ने संबंधी 23 सितंबर के नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि होटल व होम स्टे उनकी निजी भूमि पर बने हैं। संबद्ध भूमि उनके नाम है। उसके पति जेल में हैं और प्रशासन की पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर निर्माण के खिलाफ कार्यवाही कर रही है। पुरोला प्रशासन की कार्यवाही पर रोक लगायी जाये। अदालत ने हाकम सिंह की पत्नी विशुली की मांग को अस्वीकार कर दिया और अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि अदालत ने विशुली देवी को अंतिम मौका देते हुए बुधवार को शाम चार बजे तक प्रशासन के समक्ष पुनः अपना मालिकाना दावा प्रस्तुत करने का मौका दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा है कि यदि याचिकाकर्ता अपना दावा प्रस्तुत करने में असफल रही तो प्रशासन सर्वे के पश्चात् अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये स्वतंत्र है। यहां बता दें कि पुरोला प्रशासन ने 23 सितंबर को नोटिस जारी कर हाकम सिंह को सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बने होटल, रिसॉर्ट व होम स्टे को 28 सितंबर सुबह दस बजे तक हटाने के निर्देश दिये थे। साथ ही प्रशासन की ओर से कार्यवाही के संकेत दिये गये थे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जारी नोटिस में साफ कहा गया है कि उत्तरकाशी जनपद के तहसील मोरी के ग्राम सदरी में खसरा नंबर 3155 व 3156 पर हाकम सिंह की ओर से जो निर्माण किया गया है वह अवैध है। उक्त भूमि पर अवैध रूप से कुल चार अनावासीय भवन बनाये गये हैं। यह भूमि उत्तराखंड सरकार की भूमि है।