हल्द्वानी। पीसीसीएफ की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति की बैठक में देव रामपुर और लालकुआँ खनन निकासी गेट के बीच हाथी कॉरिडोर के 2.4 किलोमीटर के क्षेत्र में खनन की अनुमति खनन प्रेमी सरकार का रेता, बजरी व आरबीएम से प्रेम की मानसिकता उजागर करती है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने कहा अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN ) द्वारा हाथी को विलुप्त होने वाली प्रजाति (एंडेंजर्ड प्रजाति) मैं सम्मिलित किया गया। एलिफ़ेंट कॉरिडोर्स के खत्म होने से वनो के साथ-साथ हाथी संरक्षण को भी ख़तरा है। हाथियों के निवास व कॉरिडोर्स में मानव अतिक्रमण व हाथी की रक्षा के लिए भारत सरकार के पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा सन 1992 में हाथी परियोजना (project elephant) लागू की लेकिन राज्य सरकार इसके विपरीत काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एलीफ़ेंट कोरिडोर हाथी का मौलिक अधिकार है।
दीपक बल्यूटिया ने कहा हाथी का वजन 4 से 5 टन तक हो सकता है और जिसे 200 से 300 किलो प्रतिदिन चारे की आवश्यकता होती है जिसके लिए बड़े वन क्षेत्र की आवश्यकता है। हाथी का अनुवांशिक गुण है कि वह कभी भी उसके जन्म के परिवार के भीतर प्रजनन नहीं करता है। प्रजनन व भोजन के लिए हाथी एक वन से दूसरे वन में एलीफेंट कॉरिडोर के द्वारा जाते हैं। हाथी कॉरिडोर में खनन से हाथी प्रजनन व भोजन के लिए एक वन से दूसरे वन नहीं जा सकेंगे जिससे विलुप्त होने वाली प्रजाति (एंडेंजर्ड प्रजाति) के ऊपर अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो जाएगा। 109 नेशनल हाईवे निर्माण में दवाई फ़ार्म नगला, हल्दीचौड़ के पास एलिवेटेड सड़क बनाने की बजाए सरकार खनन में ज्यादा दिलचस्पी ले रही है।
सरकार बताए क्या देव रामपुर और लालकुआँ खनन निकासी गेट के बीच हाथी कॉरिडोर के 2.4 किलोमीटर के क्षेत्र में खनन की अनुमति देने से पहले नेशनल वाइल्ड लाइफ़ ओल्ड बोर्ड से अनुमति ली गई है कि नहीं साथ ही फ़ॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के सेक्शन दो के तहत MoEFCC ( Ministry of Environment, Forest and climate Change) से अनुमति ले ली गई है। पूर्व में भी खनन प्रेमियों ने नन्धौर रेंज के तहत eco sensitive zone में खनन का शासनादेश जारी कर दिया था जिसे मा० उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई। अप्रेल माह में पंपा नदी में खनन को लेकर NGT ( National Green Tribunal) राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा उचित खनन मूल्याँकन किया जाना आवश्यक है। दीपक बल्यूटिया ने कहा कि जो भी खनन स्वीकृति दी जाती है वह वन्य जीव कॉरिडोर को छोड़ कर दी जाती है मगर सरकार के खनन प्रेम ने सारे नियम ताक में रखकर हाथी कॉरिडोर में ही खनन की अनुमति दे दी। सरकार को जन्मुद्दों कोई सरोकार नहीं है।