एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड में प्लास्टिक कूड़ा के मामले में मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने सोमवार को सरकार को आईना दिखाया और स्वयं फील्ड में उतर कर प्लास्टिक कूड़ा-कचरा के संग्रहण व निष्पादन में आने वाली दिक्क्तों व वास्तविकता को जांचने का मन बनाया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अगुवाई में एक टीम आगामी आठ सितंबर को नैनीताल के धानाचूली का दौरा करेगी। दरअसल प्लास्टिक कूड़ा को लेकर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका लंबित है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ की ओर से हाल ही में इस मामले में सरकार और जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किये गये हैं।
सोमवार को याचिकाकर्ता जितेन्द्र यादव के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली की ओर से अदालत के संज्ञान में लाया गया कि प्लास्टिक कूड़ा के उचित संग्रहण व निष्पादन के लिये धरातल पर कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। इसके बाद अदालत ने इसे गंभीरता से लिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हमारा भी अनुभव रहा है। जब हम राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में घूमते हैं तो सड़कों और गलियों में बहुत सारा प्लास्टिक कूड़ा फैला हुआ दिखायी देता है। इसके बाद अदालत ने निर्देश दिये कि प्लास्टिक कूड़ा के संग्रहण तथा निष्पादन के मामले में अदालत की ओर से दिये गये निर्देशों के वास्तविक क्रियान्वयन में आ रही अड़चनों की वास्तविकता को जांचने के लिये उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अगुवाई में एक टीम आगामी आठ सितम्बर को नैनीताल के धानाचूली का दौरा करेगी।
टीम में नैनीताल के जिलाधिकारी, सालसा के सचिव, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के अलावा नैनीताल जिला पंचायत व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, धानाचूली व याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रहेंगे। यहां बता दें कि विगत दिनों अदालत की ओर से हल्द्वानी में जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर लगे रहने के मामले में हल्द्वानी नगर निगम के आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी किया गया था। याचिकाकर्ता जितेन्द्र यादव की ओर से इस मामले को एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। उच्च न्यायालय की ओर से इस मामले में सरकार व जिलाधिकारियों को विस्तृत निर्देश जारी किये गये हैं।