एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरूवार को हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों नहीं दी राहत और मामले को दूसरी बेंच को सुपुर्द कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अगुवाई वाली पीठ ने आज यहां हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर काबिज कथित अतिक्रमणकारियों की याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए मामले को दूसरी बेंच के सुपुर्द कर दिया है। हल्द्वानी निवासी और अतिक्रमणकारियों में से एक शमीम बानो की ओर से एक जनहित याचिका दायर कर मामले को लोक परिसर (बेदखली) अधिनियम के तहत चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय की दूसरी बेंच ने इस अधिनियम का हवाला देते हुए मामले को सुनने से इनकार कर दिया है।
याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ से जनहित याचिका के माध्यम से मांग की कि अधिनियम के प्रावधानों को स्पष्ट किया जाये। जिस आधार पर याचिका को सुनने से इनकार किया गया है लेकिन पीठ ने न्यायिक अनुशासन का हवाला देते हुए कहा कि जो बेंच इस मामले को सुन रही है, वही इस मामले को भी सुनेगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता टीए खान ने बताया कि मामले को सुनने के बाद पीठ ने मामले को पहली बेंच के सुपुर्द कर दिया है। कुल मिलाकर अतिक्रमणकारियों को आज भी इस मामले में राहत नहीं मिल पायी है।
उल्लेखनीय है कि रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर काबिज कथित 4365 अतिक्रमणकारियों को उच्च न्यायालय की ओर से पीपी एक्ट के तहत हटाने के लिये रेलवे को वर्ष 2016 में निर्देशित किया गया था। तभी से यह मामला चर्चा में है। रेलवे की ओर से दावा किया गया कि पीपी एक्ट के तहत सभी अतिक्रमणकारियों को पर्याप्त समय दिया गया और उनका पक्ष सुनने के बाद सभी को खाली करने के लिये नोटिस जारी किया गया है। इसी के बाद से अतिक्रमणकारी अपने बचाव के लिये अनेक तरह से अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं। कुछ अतिक्रमणकारियों का मामला हाईकोर्ट की दूसरी पीठ न्यायमूर्ति शरत कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ के पास लंबित है। उन्होंने याचिका दायर कर कहा कि रेलवे ने उनका पक्ष नहीं सुना है। इसके बाद अदालत ने उन्हें एक मौका दिया है। अब इस मामले पर भी यही बेंच सुनवाई करेगी।