- चार विधानसभा चुनावों में मतों के प्रतिशत में नहीं हुआ इजाफा
धीरज भट्ट
हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़। अलग राज्य बनने के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी अपना खाता खोलने में सफल नहीं हो पायी है। इधर 2022 को लेकर समाजवादी पार्टी ने फिर से चुनावी कसरत करनी शुरू कर दी है हालाकि सपा की राह इतनी आसान नहीं मानी जा सकती है और पिछले चुनावों के दौरान पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं माना जा सकता है। पार्टी के लिए यह संतोष करने की बात रही है कि 2004 के लोकसभा चुनावों में हरिद्वार से समाजवादी पार्टी के राजेन्द्र सिंह बाडी चुनाव जीते थे। इधर राज्य बनने से पूर्व सपा का जनाधार यहां ठीक-ठाक माना जाता है। बदले हुए सियासी परिदृश्यों और 1994 में हुए मुजफ्फर नगर कांड के बाद हुए यूपी के 1996 में हुए चुनावों में पहाड़ी क्षेत्रों की 22 सीटों में से समाजवादी पार्टी को तीन सीटें मिली थी।
इधर उत्तराखंड बनने के बाद 2002 में हुए विधानसभा के पहले उपचुनावों में पार्टी ने राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 63 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किये थे जिसमें पार्टी को 6.27 प्रतिशत मिले थे और पार्टी के तीन उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे। हरिद्वार की इकबालपुर सीट से मुनीर आलम को 10799, लंढौरा सीट पर राजेन्द्र सिंह का 13814 व रूद्रपुर-किच्छा से राजेश कुमार को 14576 मत मिले थे। इधर 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 70 में से 55 सीटों पर चुनावों में भाग लिया था जिसमें से उन्हें 4.96 प्रतिशत मिले। 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 45 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इस बार उनका मत प्रतिशत 1.45 प्रतिशत पर जा पहुंचा। वहीं 2017 में पार्टी ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और उनका मत प्रतिशत 0.4 प्रतिशत पहुंच गया।
- 1996 में चुने गये थे तीन एमएलए
- चकराता से मुन्ना सिंह चौहान,
- हरिद्वार से अंबरीष कुमार
- रूढ़की से राम सिंह सैनी
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