

हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नैनीताल। उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण के मामले में बुधवार को अतिक्रमणकारियों को राहत नहीं मिल पायी। उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने मामले को फिलहाल सुनने से इनकार कर दिया। रेलवे की भूमि पर काबिज कुछ अतिक्रमणकारी आज अदालत पहुंच गये। अतिक्रमणकारियों की ओर से अलग अलग याचिका दायर कर अदालत से अतिक्रणकारियों को हटाये जाने की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गयी।
इस मामले को पहली बार वर्ष 2014-15 में जनहित याचिका के माध्यम से संज्ञान में लाने वाले याचिकाकर्ता रवि शंकर जोशी की ओर से अदालत को बताया गया कि कुछ अतिक्रमणकारियों की ओर से पहले भी मामले में हस्तक्षेप कर कार्यवाही को चुनौती दी गयी और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ 11 अप्रैल को सुनवाई कर चुकी है और अदालत ने इस मामले में निर्णय सुरक्षित रखा है। इसलिये इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। इसके बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं को राहत नहीं देते हुए आज मामले को सुनने से इनकार कर दिया और कहा कि इस मामले में अदालत पहले ही सुनवाई कर चुकी है और निर्णय सुरक्षित रख लिया गया है। निर्णय आने के बाद ही इस मामले में याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुना जा सकेगा।

यहां बता दें कि हल्द्वानी की गफूर बस्ती में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर 4365 अतिक्रमणकारियों की ओर से तथाकथित रूप से कब्जा किया गया है। हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर पहली बार 2015-16 में यह मामला प्रकाश में आया और वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर अतिक्रमणकारियों को हटाने के निर्देश दे दिये थे। साथ ही उनका पक्ष सुनने के निर्देश भी रेलवे को दिये। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अतिक्रमणकारी उच्चतम न्यायालय पहुंच गये और उच्चतम न्यायालय ने अतिक्रमणकारियों को राहत नहीं देते हुए उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये। इसके बावजूद अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गयी।
याचिकाकर्ता रवि शंकर जोशी ने इसके बाद इस मामले में अवमानना याचिका दायर की और रेलवे की ओर से कहा गया कि वह इस मामले में गंभीर है और अतिक्रमणकारियों का पक्ष सुनने की कार्यवाही की जा रही है। इसी साल फिर याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी ने एक अन्य जनहित याचिका दायर कर रेलवे को कठघरे में किया और कहा कि रेलवे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करने को लेकर गंभीर नहीं है। हालांकि इसी दौरान रेलवे की ओर से अदालत को बताया गया कि 4365 में 4356 अतिक्रमणकारियों को सुना गया और वे कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाये। यहीं नहीं नैनीताल जिला प्रशासन को अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये एक रोडमैप तैयार करने के लिये भी कहा गया है।
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