एजेंसी नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आल्ट न्यूज के सह-सम्पादक मोहम्मद जुबेर को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी के मामले में पांच दिनों के लिए अंतरिम जमानत शुक्रवार को मंजूर कर ली। जुबेर इस समय दिल्ली में दर्ज एक अन्य मामले में अभी न्यायिक हिरासत में है और अभी उसे जेल में ही रहना पड़ेगा। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने सीतापुर मामले में दायर जुबेर की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। पीठ ने जमानती आदेश में कहा कि जुबेर सीतापुर मजिस्ट्रेट की अदालत के न्याय क्षेत्र से बाहर नहीं जायेंगे और तब तक कोई नया ट्वीट नहीं करेंगे जब तक कि संबंधित मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय अगली सुनवाई नहीं कर लेता।
न्यायालय ने जुबेर को निर्देश दिया है कि वह बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर इस मामले से जुड़े इलेक्ट्रानिक साक्ष्य से छेड़छाड़ न करें। वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजालविस ने जुबेर की ओर से न्यायालय में कहा,“ मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं है। मैं ताे केवल भड़काऊ बयानों के खिलाफ बोल रहा हूं। मैं किसी धर्म के खिलाफ नहीं हूं। मैं निर्दोष हूं। आप मेरे ट्वीट देखिये। मैं उनकी पुष्टि करता हूं। मुझे बेंगलुरु और अन्य स्थानों पर ले जाने की आवश्यकता नहीं है। ये सब करने की कोई जरूरत नहीं है। ” श्री गोंजालविस ने ट्वीट पढ़ते हुए कहा, “ यह किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। ” श्री गोंजालविस ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा, “ मेरा जीवन खतरे में है। कई लोग सलाह दे रहे हैं कि पुलिस मुझे प्रताड़ित करे। मेरी हत्या भी की जा सकती है। ”
उन्होंने कुछ धमकी देने वाले बयानों का उल्लेख करते हुए कहा,“ एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है। ये वे लोग हैं जिन्हें जेल में होना चाहिए। ” उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने जुबेर के वकील के दलीलों के जवाब में कहा कि जुबेर के जीवन को कोई खतरा नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “ आप व्यवस्था के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। उसने (जुबेर) जानबूझकर कई तथ्यों को मिटा दिया है। यह अस्वीकार्य है। उसने विदेशों से भी धन लिया है। ”