एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (सालिड वेस्ट मैनेजमेंट) के मामले में सरकारी मशीनरी की नाकामी पर बुधवार को सख्त रूख अख्तियार करते हुए साफ किया कि उच्च न्यायालय इसकी निगरानी करेगा और अधिकारियों को चेतावनी दी कि यदि इसके बाद भी प्रगति नहीं हुई तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।
अल्मोड़ा निवासी जितेन्द्र यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में सुनवाई हुई। इस मामले में निकायों, जिलाधिकारियों व उच्चस्तरीय निगरानी समिति की ओर से प्रगति रिपोर्ट पेश की गयी। अदालत ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के मामले में किसी पक्ष के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आयी।
दूसरी ओर याचिकाकर्ता की ओर से भी कहा गया कि ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के मामले को निकायों व जिलाधिकारियों की ओर से गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। धरातल पर वस्तु स्थिति जस की तस है। अदालत ने सुनवाई के दौरान सरकारी मशीनरी के कामकाज पर सख्त टिप्पणी की और अंत में रजिस्ट्री को इस मामले में एक ईमेल आईडी बनाने के निर्देश दिये। साथ ही अदालत ने साफ किया कि इस ईमेल आइडी पर प्रदेश का कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक कूड़े को लेकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकेगा।
रजिस्ट्रार कार्यालय उस शिकायत को संबद्ध आयुक्त को प्रेषित करेगा और आयुक्त उस मामले में 48 घंटे के अदंर कार्यवाही अमल में लायेंगे। अदालत ने निकायों को जगह जगह जमा सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण के भी निर्देश दिये। साथ ही कहा कि इसके यह अंतिम मौका है और इसके बावजूद धरातल पर काम नहीं हुआ तो दोषी के खिलाफ कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।
याचिकाकर्ता की ओर से इसी साल याचिका दायर कर इस मामले को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया कि सरकार प्लास्टिक कूड़ा व ठोस अपशिष्ठ के प्रबंधन को लेकर गंभीर नहीं है। इस मामले में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। जगह जगह कूड़े के ढ़ेर लगे हैं। राज्य व केन्द्र सरकार की ओर से ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के लिये नियमावली तैयार की गयी है लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।