हल्द्वानी एक्सपेस न्यूज़/नैनीताल। उत्तराखण्ड बार कौंसिल द्वारा अधिवक्ताओं के पंजीकरण के नाम पर भारी शुल्क वसूल किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य बार कौंसिल, बार कौंसिल ऑफ इंडिया सहित राज्य एवं केंद्र सरकारों से चार सप्ताह के भीतर जबाव दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
इस मामले की सुनवाई बुधवार को मुख्य न्यायधीश आर एस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई।
मामले को देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है।
याचिका में कहा गया है कि अन्य राज्यों में बार कौंसिल में अधिवक्ताओं के पंजीकरण के लिए 750 रुपया निर्धारित है किंतु उत्तराखंड बार कौंसिल द्वारा विभिन्न श्रेणियों में 15 हजार से 38 हजार रुपये तक पंजीयन शुल्क वसूला जा रहा है। जिसे अन्य राज्यों के समान किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डाॅ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कहा कि मामले को सुनने के बाद युगलपीठ ने इस मामले में उत्तराखण्ड बार कौंसिल समेत सभी पक्षकारों से चार सप्ताह में जबाव मांगा है।
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