एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल के कालाढूंगी तथा बाजपुर में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में गुरुवार को वनाधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत देते हुए इसे अराजकतावाद की संज्ञा दी और इस मामले न्यायमित्र अधिवक्ता नियुक्त कर दिया। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पकंज पुरोहित की युगलपीठ में आज इस मामले में सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर कर ली थी।
प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) पैन हिमांशु बागड़ी, डीएफओ प्रकाश आर्य और वना क्षेत्राधिकारी लक्ष्मण मर्तोलिया अदालत में पेश हुए और पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर जवाबी हलफनामा पेश किया लेकिन अदालत उनके जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आयी। अदालत ने डीएफओ के जवाब कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कि कहा कि दो साल से किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
अदालत ने सुनवाई के दौरान साफ-साफ कहा कि यह अराजकता की चरम सीमा है। अदालत ने कहा,“यह मामला हमारे और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। इसलिये दोषी वनाधिकारियों को बख्शा नहीं जायेगा।” अदालत ने इस मामले की तह तक जाने के लिये वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ और अधिवक्ता हर्षपाल शेखों को न्यायमित्र अधिवक्ता नियुक्त किया है। उन्होंने न्यायमित्र अधिवक्ता को मामले से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। अदालत इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई करेगी।