एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अदालत के आदेश के बावजूद जवाबी हलफनामा पेश नहीं करने के मामले में हरिद्वार विकास प्राधिकरण (एचडीए) पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में रुड़की निवासी मुकेश गोयल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि हरिद्वार विकास प्राधिकरण की ओर से अदालत के आदेश के बावजूद रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा व अन्य की ओर से नजूल भूमि में बिना नक्शा पास बनाये गये पांच मंजिला व्यावसायिक भवन के मामले में अभी तक जवाब पेश नहीं किया गया है।
अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्राधिकरण पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया और अगली तिथि तक जवाब देने को कहा है। साथ ही अदालत ने विधायक बत्रा के कम्पाउंडिंग प्रार्थना पत्र पर भी रोक लगा दी है। इस मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी। याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि रुड़की विधायक एवं अन्य ने नगर निगम की नजूल भूमि पर अतिक्रमण करके पाँच मंजिला भवन का निर्माण किया गया है और व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। जिला विकास प्राधिकरण की ओर से इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।