- लोगों एवं वनाधिकारियों ने ली राहत की सांस
उवैस सिद्दीकी
अफजलगढ़/कासमपुर गढ़ी। 5 माह की हाय-तोबा और चीख-पुकार के बाद आखिरकार बीती रात एक गुलदार वन विभाग के पिंजरे में कैद हो ही गया। अपनी चालाकी और शरारत से लोगों को खून के आंसू रुलाने और वन विभाग को जमकर दौड़ाने और छकाने वाला गुलदार शिकार के लालच में आकर पिंजरे में फंसकर छटपटाता रहा। लंबे इंतजार के बाद पिंजरे में फंसे गुलदार को देख ग्रामीणों के साथ-साथ वन विभाग ने भी बड़ी राहत की सांस ली है। हालांकि अभी जांचोपरांत यह देखना होगा क्षेत्र के आधा दर्जन लोगों को मौत के घाट उतार देने वाला नरभक्षी गुलदार यही है या कोई और, क्योंकि जिस स्थान पर लगे पिंजरे में यह गुलदार कैद हुआ है वहां से मात्र आधा किलोमीटर दूर ही 10 दिन पूर्व जमुना देवी नामक 18 वर्षीय युवती को गुलदार ने मौत के घाट उतार दिया था। क्षेत्र में सर्वप्रथम कोतवाली अफजलगढ़ के ग्राम सीरवासुचंद में 19 अप्रैल को 80 वर्षीय तुंग्गल सिंह को मौत के घाट उतार देने के बाद गुलदार ने रेहड़ क्षेत्र का रुख किया और वहां उदयपुर, सादकपुर, मच्छमार, मुस्सेपुर, मोहम्मदपुर राजोरी व भटपुरा आदि आसपास के क्षेत्र में तभी से जमकर उत्पात मचाते हुए आधा दर्जन इंसानों को मौत के घाट उतार दिया। इस पांच माह के दौरान क्षेत्रवासी गुलजार से आजिज आ चुके थे और इस बीच वन विभाग की भी नाक में दम रहा। वन विभाग ने कुछ चिन्हित स्थानों पर गुलदार को पकड़ने हेतु पिंजरे लगाएं मगर चालक गुलदार पिंजरों से दूर-दूर ही भागता रहा।

इसी बीच ग्रामीणों द्वारा मिली सूचना के मुताबिक वनाधिकारियों ने बीते 2 अगस्त को सादकपुर में स्थित एक इंटर कॉलेज के पीछे एक किसान के खेत में पिंजरा लगाया और उसमें कभी बकरी तो कभी कुत्ता बांधा गया, मगर गुलदार अपनी चालाकी से बाज नहीं आया और पिंजरे में नहीं घुसा। कहते है कि “चालाकी ज्यादा दिनों काम नहीं आती” यह कहावत बीती रात साबित हुई और वन विभाग द्वारा गत दिवस पिंजरे में बांधे गए कुत्ते के शिकार के लालच में बीती रात किसी समय गुलदार आखिर फंस ही गया। प्रातः काल जब पिंजरे में गुलदार को फंसा देखा तो लोगों एवं वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। देखते ही देखते ग्रामीणों की भारी भीड़ मौके पर इकट्ठा हो गई और पुलिस एवं वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए। खूंखार गुलदार को देखने की इच्छा लिए लोगों की भीड़ को बमुश्किल हटाया गया। मौके पर मौजूद डीएफओ बिजनौर अरुण कुमार सिंह, स्थानीय टीम लीडर डीएफओ बागपत हेमंत सेठ, एसडीओ अंशुमन मित्तल, रेंजर नगीना प्रदीप शर्मा, रेंजर अमानगढ़ खुशबू उपाध्याय, डिप्टी रेंजर स्वरूप सिंह, वन दरोगा जगत सिंह राणा आदि वनाधिकारी कर्मचारी अपनी देखरेख में एक ग्रामीण के ट्रैक्टर ट्रॉली की मदद से पिंजरे में कैद गुलदार को ले गए जिसे फिलहाल अमानगढ़ के केहरीपुर वन रेंज कार्यालय ले जाया गया है जहां से उच्चाधिकारियों के दिशा निर्देशों के बाद अग्रिम प्रक्रिया अपनाई जाएगी।