एजेंसी/नैनीताल। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के उल्लंघन के मामले में उत्तराखंड शासन में तैनात अपर सचिव विनीत कुमार के खिलाफ आपराधिक अवमानना के तहत कार्यवाही करने की मांग की गयी है। साथ ही अपर सचिव से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को भी कहा गया है। अधिवक्ता रमन कुमार साह की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर को लिखे गये पत्र में कहा गया है कि केन्द्रीय अधिनियम के तहत नौ नवम्बर 2000 को उत्तराखंड राज्य के साथ ही प्रदेश का उच्च न्यायालय अस्तित्व में आया था और गजट नोटिफिकेशन के साथ ही उच्च न्यायालय की स्थापना पर्यटक नगरी नैनीताल में की गयी थी।
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इसके बाद न तो उत्तराखंड राज्य और न ही किसी व्यक्ति विशेष के पास सरकार के गजट नोटिफिकेशन को बाधित करने का अधिकार है लेकिन लोक निर्माण विभाग के अपर सचिव विनीत कुमार की ओर से अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए पिछले महीने 27 सितम्बर को उच्च न्यायालय को नैनीताल से अन्यत्र स्थापित करने के मामले में देहरादून में बैठक में आहूत की गयी। जो कि उच्च न्यायालय के न्यायिक कार्यों में हस्तक्षेप है और आपराधिक अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 18 का उल्लंघन है। पत्र में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से आपराधिक अवमानना का मामला है। श्री साह ने महाधिवक्ता से मांग की कि नोटिस प्राप्त होने के एक महीने के अदंर अपर सचिव के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दायर करें।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि यदि ऐसा नहीं होता है तो वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को बाध्य होंगे। पत्र की एक प्रति अपर सचिव विनीत कुमार को भी प्रेषित की गयी है और उनसे सार्वजनिक रू
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