हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में राज्य के केबिनेट मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल समेत तीन विधायकों खुशाल सिंह (कांग्रेस), करीम असांरी(बसपा) और उमेश कुमार शर्मा(निर्दलीय) के निर्वाचन को पराजित उम्मीदवारों की ओर से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनौती दी गयी है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की अलग -अलग पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई के बाद सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये।
श्री अग्रवाल के निर्वाचन को चुनौती देने वाले जयेन्द्र चंद्र रमोला ने आरोप लगाया है कि उन्होंने (श्री अग्रवाल) चुनाव प्रचार के दौरान अपने विवेकाधीन कोष का दुरुपयोग किया है और मतदाताओं को इसी कोष से चेक वितरित किया है। गये। याचिका के साथ वितरित चेकों की छाया प्रति भी संलग्न की गयी है।
श्री सिंह के निर्वाचन को पूरण सिंह फर्त्याल ने चुनौती दी है। उनका आरोप है कि श्री सिंह की ओर से शपथ पत्र नामांकन पत्र दाखिले के चार दिन बाद जमा किया गया, जो कि जनप्रतिनिधत्व अधिनियम के विपरीत है।
श्री अंसारी के निर्वाचन के खिलाफ प्रस्तुत याचिका में श्री काजी मोहत्तद निजामुद्दीन ने कहा है कि श्री अंसारी ने शपथपत्र में अपनी एवं धर्मपत्नी की सम्पत्ति का सही ब्यौरा शपथपत्र में नहीं दिया है, न ही बैंक लोन और उनके खिलाफ दर्ज अभियोग का उल्लेख किया गया है। शैक्षिक योग्यता भी गलत दर्शायी गयी है।
निर्दलीय विधायक उमेश कुमार शर्मा के निर्वाचन को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता वीरेन्द्र कुमार ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने (श्री शर्मा) नामांकन पत्र में तथ्यों को छिपाया है। शपथपत्र में 29 आपराधिक मामलोें में से 16 का उल्लेख किया है वहीं संगीन आरोपों का उल्लेख नहीं किया गया है। चुनाव के दौरान श्री शर्मा पर पुलिस के साथ पैसे बांटने का भी आरोप है।
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