हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग से उत्तर प्रदेश विधानसभा के आगामी चुनाव को टालने का अनुरोध किया है।
उच्च न्यायालय में गुरुवार को एक जमानत अर्जी पर सुनवायी के दौरान न्यायमूर्ति शेखर यादव ने कहा कि उप्र के संभावित विधानसभा चुनाव में कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों की चुनावी रैलियों पर रोक भी लगाई जानी चाहिये। अदालत ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया कि ‘जान है तो जहान है’ इसलिये राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से करना चाहिये। साथ ही आयोग को राजनीतिक पार्टियों की चुनावी सभाएं एवं रैलियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने को भी कहा है। अदालत ने कहा कि प्रधानमंत्री चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है।’
न्यायमूर्ति शेखर यादव ने जेल में बंद आरोपी संजय यादव की जमानत पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। न्यायमूर्ति यादव ने याचिकाकर्ता की जमानत मंजूर करते हुये अपले आदेश में कहा कि इस न्यायालय के पास करीब 400 मुकदमें सूचीबद्ध हैं। इसी प्रकार से रोज मुकदमें सूचि बद्ध होते हैं। इस कारण बड़ी संख्या में अधिवक्ता आते हैं। उनके बीच किसी प्रकार की सोशल डिस्टेसिंग नहीं होती है। वे आपस में सटकर खड़े होते हैं, जबकि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। साथ ही तीसरी लहर आने की संभावना है।
उन्होंने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से कहा कि पिछले 24 घंटे में कोरोना के छह हजार नए मामले मिले हैं। 318 लोगों की मौते हुई हैं। यह समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है। इस महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, आयरलैंड, जर्मनी, स्काॅटलैंड जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। ऐसी दशा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के महानिबंधक से आग्रह है कि वह इस विकट स्थिति से निपटने के लिए नियम बनाए।
न्यायालय ने कहा कि दूसरी लहर में हमने देखा है कि लाखों लोग कोरोना संक्रमित हुए थे। साथ ही लोगों की मौते भी हुई थी।
न्यायालय ने कहा कि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में प्रधानमंत्री का कोरोना मुफ्त टीकाकरण का अभियान चलाना प्रशंसनीय है और अदालत इस काम के लिये प्रधानमंत्री की प्रशंसा करती है। न्यायमूर्ति यादव ने कहा कि इस भयावह महामारी के आसन्न खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री कड़े कदम उठाएं। न्यायालय ने इस आदेश की एक प्रति महानिबंधक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, चुनाव आयुक्त और केन्द्र सरकार को प्रेषित करने का निर्देश दिया।
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