हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़ /नैनीताल। उत्तराखंड के वन गूर्जरों के लिये बुधवार का दिन सुखद भरा रहा। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) व राजाजी टाइगर रिजर्व में रह रहे वन गूर्जरों के पुनर्वास के मामले में कई अहम निर्णय दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान व न्यायमूर्ति आरएस धनिक की युगलपीठ ने दिल्ली की गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) थिंक एक्ट राइज फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई के बाद ये निर्देश जारी किये। समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव एल फेन्नई, प्रमुख वन संरक्षक, वन्य जीव (पीसीसीएफ) विनोद कुमार व टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, नैनीताल, हरिद्वार व उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी और देहरादून की मुख्य विकास अधिकारी आज वर्चुअली अदालत में पेश हुए।
वन विभाग की ओर से अदालत को बताया गया कि आरटीआर में वर्ष 1995 से वन गूर्जरों के पुनर्वास की प्रक्रिया चल रही है। कुल 1610 वनगूर्जर परिवारों की ओर से पुनर्वास के लिये दावा प्रस्तुत किया है। इनमें से 400 परिवारों को ही पुनर्वासन के योग्य पाया गया है। इनमें से 229 को पुनर्वासित कर दिया गया है। शेष का पुनर्वास किया जाना है। आरक्षित वन क्षेत्र में रह रहे वन गूर्जर परिवारों को वन विभाग व कोर जोन में रह रहे परिवारों को राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण (एनटीसीए) की गाइड लाइन के अनुसार पुनर्वासित किया जाना है।
वन विभाग के अनुसार 59 वन गूर्जर परिवार आरटीआर के अंदर रह रहे हैं जबकि याचिकाकर्ता के अनुसार 179 परिवारों को बेदखल कर दिया गया है। इन परिवारों का पुनर्वास किया जाना बाकी है।
इसी प्रकार याचिकाकर्ता अर्जुन कसाना की ओर से आगे बताया गया कि सीटीआर के अंतर्गत सोना नदी प्रभाग के अंतर्गत 181 वन गूर्जर परिवारों में से 157 परिवारों को पुनर्वास प्रक्रिया के तहत जमीन मुहैया करा दी गयी है लेकिन जमीन का कब्जा प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है। यहां मात्र 24 वन गूर्जर परिवारों का पुनर्वास होना शेष है। पीसीसीएफ विनोद कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि सोना नदी के अंतर्गत रह रहे 24 वनगूर्जर परिवारों को गाइड लाइन के अनुसार भुगतान किये जाने की प्रक्रिया चल रही है।
इसके बाद अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि आरटीआर के अंतर्गत रह रहे 179 परिवारों के पुनर्वास के लिये दो महीने के अंदर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करें और एक साल के अंदर उस पर क्रियान्वयन करे। अदालत ने कहा कि डीपीआर में वनगूर्जरों के लिये सभी प्रकार की सुख सुविधायें सरकार जुटाये। इसके तहत सड़क, बिजली, पानी, सीवर, प्राथमिक स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधा शामिल हो और उनके जानवरों के लिये भी अस्पताल व दूध एकत्रीकरण सेंटर स्थापित करें।
अदालत ने सरकार को यह भी निर्देश दिये कि सीटीआर के सोना नदी के अंतर्गत रह रहे 24 वन गूर्जर परिवारों को पुनर्वास प्रक्रिया के तहत तीन माह के अंदर 10 लाख रुपये प्रति परिवार भुगतान करे। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि इन दो मांगों पर यदि समय रहते अमल नहीं किया जाता है तो वह अवमानना याचिका दायर करने को स्वतंत्र हैं।
यही नहीं अदालत ने आगे कहा कि सरकार को निर्देश दिये कि वह सोना नदी से पुनर्वासित 157 वनगूर्जर परिवारों को छह माह के अंदर भूमि का कब्जा प्रमाण पत्र उपलब्घ कराये। इसके अलावा अदालत ने आरटीआर के अंतर्गत रह रहे 179 वन गूर्जर परिवारों की मवेशियों के लिये खाना उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये हैं।
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