एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने बुधवार को जारी अपने महत्वपूर्ण निर्णय में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को राहत देते हुए उन्हें सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने सचिव शिक्षा के 10 फरवरी, 2021 के आदेश को भी निरस्त कर दिया।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में हुई। सरकार के 10 फरवरी, 2021 के शासनादेश को नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह की ओर से चुनौती दी गयी थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वह दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त हैं। यह डिग्री केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय व राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी कहा गया कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय, एनसीटीई और शिक्षा सचिव की ओर से उन्हें सहायक अध्यापक प्राथमिक भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने को कहा गया था, परन्तु प्रदेश सरकार ने 10 फरवरी, 2021 को एक शासनादेश जारी कर उन्हें सहायक अध्यापकों की 2648 पदों के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया। सरकार की ओर से इसके पीछे तर्क दिया गया कि उनके पास इस मामले में कोई स्पष्ट गाइड लाइन मौजूद नहीं है। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी कहा गया कि इससे पहले शिक्षा महकमा की ओर से याचिकाकर्ताओं के शैक्षणिक दस्तावेज भी जमा कर लिए गए थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से शासनादेश पर रोक लगाने और उन्हें सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश देने की मांग की गयी।
सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) सेवा नियमावली में दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को शामिल किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पदों पर नियुक्ति हेतु अहर्ता निर्धारित करने का पहला अधिकार एनसीटीई को है। प्रदेश सरकार एनसीटीई के निर्देशों का अनुपालन करने के लिए बाध्य है। वरिष्ठ अधिवक्ता सीडी बहुगुणा ने बताया कि अदालत ने अंत में सरकार के 10 फरवरी, 2021 के शासनादेश को खारिज कर दिया और एनआईओएस प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश जारी कर दिए। अदालत ने सभी याचिकाओं को पूर्ण रूप से निस्तारित कर दिया। माना जा रहा है कि अदालत के इस आदेश से प्रदेश के 37000 अभ्यर्थी लाभान्वित होंगे।