एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विश्व प्रसिद्ध कार्बेट पार्क से सटे एलीफेंट कॉरीडोर को ईको सेंसटिव जोन घोषित करने पर विचार करने तथा इन इलाकों में होटल और रिसॉर्ट के निर्माण की अनुमति नहीं देने के भी निर्देश दिये हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की पीठ ने इंडिपेंडेंट मेडिकल इनीशिएटिव संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये महत्वपूर्ण निर्देश जारी किये है। याचिकाकर्ता की ओर से कार्बेट पार्क से सटे मलानी-कोटा, चिल्किया-कोटा, दक्षिण पातलीदून-चिल्किया हाथी कोरोडोर को बचाने के लिये सन् 2019 में याचिका दायर की गयी थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली की ओर से अदालत को बताया गया कि हाथियों के उपरोक्त प्राकृतिक वास व कोरीडोर इलाके में अतिक्रमण किया जा रहा है। इन इलाकों में होटल व रिसॉर्ट का निर्माण किया जा रहा है। इससे हाथियों का निर्बाध विचरण प्रभावित हो रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से सेटेलाइट तस्वीर का जिक्र करते हुए कहा गया कि कोसी नदी के दोनों ओर घना जंगल है और हाथी पानी की जरूरत को पूरा करने के लिये कोसी नदी में आते हैं। सड़क, रिसॉर्ट व होटलों के निर्माण से हाथियों की आवाजाही बाधित हुई है। इसके फलस्वरूप हाथी व मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटनायें बढ़ी हैं। याचिकाकर्ता की ओर से उच्चतम न्यायालय के हास्पिटेलिटी एसो0 आफ मुदुमलाई बनाम इन डिफेंस आफ एनवायरमेंट एंड एनीमल्स एंड अदर्स आदि मामले में दिये गये महत्वपूर्ण आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि इसी से जुड़े मामले में शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रख दिया था।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि तमिलनाडु सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर नीलगिरी के सिगुर पठार में एक एलीफेंट कॉरीडोर को अधिसूचित कर दिया था। साथ ही यहां के रिसॉर्ट मालिकों और निजी भूमि मालिकों को निर्देश जारी किया था कि वे अधिसूचित एलीफेंट कॉरीडोर के अदंर आने वाली भूमि को तीन महीने के अदंर खाली कर नीलगिरी जिला प्रशासन को सौंप दें।
उच्च न्यायालय की ओर से शीर्ष अदालत के आदेश के आलोक में कहा गया कि हाथियों का निर्बाध विचरण जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र के लिये अहम है और हाथियों का झुंड जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाथी जंगल साफ करते हैं। वे कुछ पौधों की अतिवृद्धि को रोकते हैं और अन्य को पनपने का मौका देते हैं। हाथी जंगल में बीजों का फैलाव भी करते हैं। हाथी का गोबर पौधों व जानवरों को पोषण प्रदान करता है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सरकार पारंपरिक हाथी कोरिडोर का संरक्षण करे। साथ ही कहा कि हाथी कोरीडोर वाले इलाके में हाथियों की आवाजाही के लिये बुनियादी ढांचा विकसित किये बिना इस इलाके में सड़क निर्माण की अनुमति नहीं दे। न्यायालय ने राज्य के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, रामनगर और अल्मोड़ा के प्रभागीय वनाधिकारी और कार्बेट पार्क के निदेशक को निर्देश दिये कि एलीफेंट कोरिडोर में पड़ने वाली सड़क के दोनों ओर रात्रि में सुरक्षा कर्मियों की पर्याप्त तैनाती करे , ताकि हाथी आसानी से कोसी नदी तक पहुंच बना सकें। इसके साथ ही हाथियों को रोकने के लिये वन विभाग द्वारा उपयोग में लाये जाने वाले मिर्च के पाउडर के प्रयोग पर रोक को आगे भी जारी रखा है। साथ ही बंदूक की गोली व बिजली की बाड़ जैसे अमानवीय तरीकों के उपयोग पर भी रोक लगा दी है। मामले में की अगली सुनवाई आठ दिसंबर को होगी।