हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नयी दिल्ली। भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने करोड़ों देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए गुरुवार को तुर्की के शहर इस्तांबुल में 5-0 से शानदार जीत के साथ आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के 12वें संस्करण में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। निखत ने 52 किग्रा भार वर्ग के खिताबी मुकाबले में थाईलैंड की जितपोंग जुतामास को बिना किसी खास परेशानी से एकतरफा अंदाज में दोयम साबित किया। सभी पांच जजों ने भारतीय खिलाड़ी के पक्ष में 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 29-28 का स्कोर दिया।
निजामाबाद (तेलंगाना) में जन्मी यह मुक्केबाज छह बार की चैंपियन एमसी मैरी कॉम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006) और लेख केसी (2006) के बाद विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली सिर्फ पांचवीं भारतीय महिला बनीं। इस प्रतिष्ठित वैश्विक आयोजन में 2018 में महान मुक्केबाज मैरी कॉम की खिताबी जीत के बाद से यह भारत का पहला स्वर्ण पदक भी है। आज के मुकाबले को देखें तो निखत ने अच्छी शुरुआत की और कुछ सटीक मुक्कों से शुरूआती तीन मिनट में आत्मविश्वास से लबरेज जुतामास के खिलाफ बढ़त हासिल की। ऐसा नहीं था कि निखत के सामने खड़ी मुक्केबाज का स्तर अच्छा नहीं था। वह तीन बार की विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता कजाकिस्तान की ज़ैना शेकरबेकोवा को हराकर फाइनल में पहुंची थीं।
इन सबकी परवाह किए बगैर 25 वर्षीय भारतीय मुक्केबाज ने अपने लंबे कद का पूरा फायदा उठाया और थाई मुक्केबाज के खिलाफ अपना दबदबा बनाए रखा। निखत ने जुतामास को 2019 थाईलैंड ओपन के सेमीफाइनल में हराया था। जुतामास ने हालांकि दूसरे राउंड में जवाबी हमला करते हुए करने की कोशिश की लेकिन वह काफी तेज और सटीक दिख रहीं निखत के सामने मुश्किल से ही कोई परेशानी पैदा करने में कामयाब हो सकीं। इसका कारण यह था कि निखत पूरी तरह से नियंत्रण में दिख रही थीं। निखत ने सामने से अपनी विपक्षी खिलाड़ी पर सटीक मुक्के मारे और ताकत के साथ उनके सामने डटी रहीं। यह सब बातें उनके लिए काफी महत्वपूर्ण कारक साबित हुई औऱ इसका फायदा निखत को अंतिम राउंड में मिला और वह अपना पहला फाइनल खेलते हुए लगातार हमले करती रहीं और अंततः विजेता बनकर उभरीं।
मनीषा (57 किग्रा) और परवीन (63 किग्रा) ने इस चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। भारतीय दल ने इसी के साथ दुनिया की सबसे बड़ी मुक्केबाजी प्रतियोगिता में तीन पदकों के साथ अपने अभियान का समापन किया इस इवेंट में इस साल 73 देशों की रिकॉर्ड 310 मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया, जो इस वैश्विक चैंपियनशिप की 20वीं वर्षगांठ का प्रतीक था। भारत ने इस चैम्पियनशिप के लिए कुल 12 मुक्केजों को तुर्की भेजा था। इनमें से आठ ने इस साल के टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। मेजबान तुर्की की भी इतनी ही मुक्केबाज क्वार्टर फाइनल में पहुंची थीं।
इस्तांबुल में जीते गए तीन पदकों के साथ इस प्रतियोगिता में भारत द्वारा जीते गए कुल पदकों की संख्या 39 हो गई है, जिसमें 10 स्वर्ण, आठ रजत और 21 कांस्य शामिल हैं। इस प्रतिष्ठित आयोजन के 12 संस्करणों में रूस (60) और चीन (50) के बाद भारत ने ही सबसे अधिक पदक जीते हैं। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) अध्यक्ष अजय सिंह निखत को बधाई देते हुए कहा विश्व चैम्पियनशिप जैसे बड़े इवेंट में पदक जीतना हमेशा एक सपना होता है और निखत का इसे इतनी जल्दी हासिल कर लेना बेहद सराहनीय है। बीएफआई को इस बात का गर्व है कि हमारे मुक्केबाजों ने न केवल हम सभी को गौरवान्वित किया है, बल्कि उनकी प्रत्येक बॉक्सिंग यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक होगी। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) की ओर से मैं निखत और कांस्य पदक विजेता परवीन तथा मनीषा के साथ-साथ कोच और सहयोगी स्टाफ को इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं। हमारे आठ मुक्केबाजों ने क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया जो संयुक्त रूप से सबसे बड़ी संख्या थीा यह भारतीय मुक्केबाजी की ताकत को दर्शाता है।
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