हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नैनीताल। देश की ऐतिहासिक चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या पर लगे प्रतिबंध को हटाने के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई होगी। सरकार की ओर से इस मामले को आज मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान की अगुवाई वाली युगलपीठ के समक्ष उठाया गया। अदालत ने सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए कल की तिथि निश्चित की है।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस एन बाबुलकर एवं मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) आज अदालत में पेश हुए और उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा में तीर्थ यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध के चलते बहुत सीमित संख्या में तीर्थयात्री दर्शन को जा रहे हैं। पंजीकरण कराने के बावजूद तीर्थयात्री चारधाम नहीं पहुंच रहे हैं। 300 से 500 तीर्थयात्री ही प्रतिदिन चारधाम पहुँच रहे हैं। श्री बाबुलकर ने तीर्थयात्रियों की संख्या पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में इस आशय का प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। सरकार की ओर से प्रार्थना पत्र में दलील दी गयी है कि चारधाम यात्रा के दौरान आज तक एक भी कोरोना महामारी का मामला सामने नहीं आया है। सरकार की ओर से इस मामले में तिरूपति बालाजी धाम का भी उदाहरण दिया गया है। कहा गया है कि तिरूपति बालाजी में प्रतिदिन 8000 तीर्थया़त्री दर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि चारधाम यात्रा को खत्म होने में एक महीना से कम समय बच गया हैं और चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अदालत ने मामले को सुनने के बाद सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और सुनवाई के लिए कल की तिथि सुनिश्चित कर दी। अदालत कल सुबह सबसे पहले इस मामले में सुनवाई करेगी। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने पिछले महीने 16 सितम्बर को एक आदेश जारी कर चारधाम यात्रा पर से रोक हटाते हुए तीर्थ यात्रियों की संख्या को सीमित की थी। जिसमें तीर्थयात्रियों की संख्या बदरीनाथ धाम में 1000, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 प्रतिदिन कर दी थी।
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