देहरादून। उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने विदेश में नौकरी के नाम पर युवाओं को मानव तस्करी और साइबर क्राइम के जाल में फँसाने वाले गिरोह का बड़ा खुलासा किया है। थाईलैंड, म्यांमार और बैंकाक में बंधक बनाकर साइबर ठगी करवाए जा रहे भारतीय युवकों को रेस्क्यू कर भारत लाए जाने के बाद सूचना मिली कि उनमें से सात युवक ऊधम सिंह नगर जिले के निवासी हैं। मामले में प्रदेश के कई एजेंटों की संलिप्तता उजागर हुई है, जिनमें काशीपुर का एक आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ और IG एसटीएफ/साइबर क्राइम नीलेश आनंद भरणे के निर्देश पर शुरू हुई जांच में यह सामने आया कि उत्तराखंड के कई युवाओं को अच्छी सैलरी और आकर्षक नौकरी का लालच देकर विदेश भेजा जा रहा था। लेकिन वहां पहुँचते ही उन्हें म्यांमार के कुख्यात K.K. पार्क ले जाकर बंधक बना लिया जाता था, जहाँ से चीनी नेटवर्क द्वारा उनसे जबरन साइबर ठगी कराई जाती थी। विदेश भेजने के नाम पर युवाओं से मोटी धनराशि वसूली जाती थी, और उनके दस्तावेज व लोकेशन व्हाट्सऐप के माध्यम से विदेशी एजेंटों तक पहुँचाई जाती थी।
ऊधम सिंह नगर के सात युवकों के बयान और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर सुनील कुमार, अशोक, पिंकी, नीरव चौधरी, प्रदीप और धन्नजय के नाम प्रकाश में आए।साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन कुमाऊँ, रुद्रपुर में 22 नवंबर को इस संबंध में FIR दर्ज की गई तथा प्रभारी निरीक्षक अरुण कुमार को विवेचना सौंपी गई। जांच के दौरान अभियुक्तों के बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और सोशल मीडिया डेटा का विश्लेषण कर गहराई से पड़ताल की गई। डिजिटल साक्ष्यों की मदद से पुलिस ने काशीपुर निवासी प्रदीप कुमार को दबिश देकर गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने खुलासा किया कि उसने काशीपुर के मनीष चौहान से 45 हजार रुपए कमीशन लेकर पीड़ित अयाज़ को बैंकाक में डिजिटल मार्केटिंग की फर्जी नौकरी दिलवाने के बहाने भेजा। बाद में मनीष ने उसे अवैध रास्तों से म्यांमार के K.K. पार्क तक पहुंचाया, जहाँ से पीड़ित का संपर्क बाहरी दुनिया से कट गया। आरोपी के मोबाइल से बरामद व्हाट्सऐप चैट्स और रिकॉर्ड उसकी भूमिका को पुख्ता करते हैं। आरोपी प्रदीप से एक मोबाइल और सिम कार्ड बरामद किए गए हैं, जबकि उसके खिलाफ बीएनएस व आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है।






