हल्द्वानी। उत्तराखंड देवभूमि होने के साथ ही धार्मिक संतों की नगरी भी रही है। स्वामी विवेकानंद से लेकर अनेक आध्यात्मिक संतों ने यहां पर साधना की है। इन्हीं तमाम संतों की आध्यात्मिक परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए उत्तराखंड में भी कुछ संतों ने इसका बीड़ा उठाया है। इन्हीं परम्पराओं का अनुसरण कर एक ऐसे ही संत अपने गुरू की शिक्षाओं व मानव उत्थान सेवा समिति के उद्देश्यों को सुदूर बद्रीनाथ से लेकर उत्तराखंड के तराई तक फैलाने में लगे हैं। युवा व उर्जावान संत सत्यबोधानंद मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में उत्तराखंड में अपने गुरू सतपाल महाराज की शिक्षाओं के प्रचार प्रसार व लोक कल्याण के कार्यो में लंबे समय से जुटे हैं।

इसी क्रम में उन्होंने उत्तराखंड के कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में कई आश्रमों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई है। साथ ही वे अपने गुरू के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए आध्यात्मिक प्रवृति के लोगों को संस्था के साथ जोड़ रहे हैं। अभी तक वे सैकड़ों लोगों को दीक्षा दिलाकर गुरू महाराज के मिशन को आगे ले जाने का कार्य कर रहे हैं। अभी तक वे हल्द्वानी के अलावा अन्य स्थानों में भी मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में कई आध्यात्मिक कार्यों का आयोजन कर चुके हैं। साथ ही अपने गुरू सतपाल महाराज के जन्मदिन पर वे मानव उत्थान सेवा समिति के सभी आश्रमों में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन कराते हैं । स्वामी सत्यबोधानंद सदैव ही मानव कल्याण व विश्व शांति की बात कहते हैं। इधर उन्होंने 1 जुलाई को गुरू पूजन हेतु ऊषा रूपक कालोनी कुसुमखेड़ा आश्रम में वृहद स्तर पर एक धार्मिक कार्यक्रम व भंडारे का आयोजन किया है तथा उन्होंने धर्मप्रेमी जनता से कार्यक्रम में प्रतिभाग करने की अपील की है।









