एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा में नकल के आरोपी दो लोगों को फिलहाल राहत देते हुए आयोग के फैसले पर रोक लगा दी है। साथ ही सरकार व आयोग से जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई। मामले के अनुसार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की ओर कुछ समय पहले उत्तराखंड रक्षक सचिवालय भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। इसमें 14 परीक्षार्थी नकल करते हुए पकड़े गये थे। इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गयी। इसके बाद आयोग ने पिछले महीने 16 मई को एक आदेश जारी कर सभी 14 आरोपियों को सरकारी सेवा में परीक्षा देने के लिये अगले पांच साल के लिये वंचित कर दिया था।
इधर दो आरोपी दयाराम व अजय की ओर से इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि आयोग को उन्हें वंचित करने का अधिकार नहीं है। आयोग ने उप्र नकल विरोधी अधिनियम, 1998 की धारा 9 व 10 का हवाला देते हुए उन्हें परीक्षा देने से वंचित किया है लेकिन आयोग के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है। आगे कहा गया कि उनके खिलाफ न्यायालय में वाद दायर किया जा सकता है और न्यायालय की उनके खिलाफ कार्यवाही कर सकता है। उन्हें आयोग की ओर से वंचित नहीं किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं की ओर से आयोग के आदेश को खारिज करने की मांग की गयी है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि पीठ ने उनकी याचिकाओं को सुनवाई के लिये स्वीकार करते हुए आयोग के 16 मई के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार व आयोग से जवाब मांगा है।