हल्द्वानी। बनभूलपुरा रेलवे प्रकरण में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयान की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को नियत की है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार तथा पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से इस मामले में अगली तारीख 24 जुलाई को एक-एक अधिकारी को प्लान के साथ तलब किया है। इस मामले में कुल 11 जनहित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए दाखिल हैं। सूत्रों के अनुसार अब्दुल मतीन सिद्दीकी की याचिका में कॉलिन गोंसाल्विस मौजूद थे। उनकी तरफ से पहले ही फाइनल जवाब दाखिल किया जा चुका है। इसलिये उन्होंने कहा कि हम फाइनल बहस को तैयार हैं। कोई भी डेट दे दी जाए। वहीं एक अन्य याचिका में वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी ये ही साफ नहीं हो सका है कि कहां नजूल है और कहां रेलवे, रेलवे के पास अभी कोई साइट प्लान तक नहीं है। कोर्ट ने पिछला आदेश पढ़कर रेलवे और सरकार से सवाल किया कि आपसे प्लान मांगा गया था वो कहां है। इस पर रेलवे और सरकार की तरफ से कोई मजबूत जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने कुछ गिने चुने ही लोगों को मुआवजे की पेशकश की बात कही।
सूत्रों के अनुसार कोर्ट ने बहस सुनने के बाद राज्य और रेलवे की तरफ से एक-एक अधिकरी को जवाब के साथ कोर्ट में 24 जुलाई की तारीख मुकर्रर करते हुए तलब किया है। विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी में रेल विभाग द्वारा दावा की गई जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। रेलवे के अनुसार, जमीन पर 4,365 परिवारों ने अतिक्रमण कर रखा है। शीर्ष अदालत ने पांच जनवरी 2023 को एक अंतरिम आदेश में विवादित भूमि से अतिक्रमण हटाने के हाई कोर्ट के निर्देशों पर रोक लगा दी थी और इसे मानवीय मुद्दा करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि पचास हजार लोगों को रातोंरात नहीं हटाया जा सकता है। बनभूलपुरा क्षेत्र में धार्मिक स्थल (मंदिर व मस्जिद), स्कूल, व्यापारिक प्रतिष्ठान और आवास हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके पास वैध दस्तावेज हैं। इससे पहले विगत 24 जनवरी को मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन इस मामले की सुनवाई 24 जनवरी को नहीं हो पाई थी। उससे पूर्व विगत वर्ष 2023 में 7 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई हुई थी उसके बाद आज 12 जुलाई को सुनवाई हुई है।