एजेंसी/नैनीताल। तीर्थनगरी हरिद्वार के रूड़की तहसील के अंर्तगत वेल्डा गांव मामले में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। पुलिस उत्पीड़न की कहानी झूठी निकली। मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया। दरअसल नगमा कुरैशी नामक महिला की ओर से गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ से वर्चुअल संपक कर वेल्डा गांव में पुलिस उत्पीड़न की बात कह दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की गयी। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने मामले का तुरंत संज्ञान लेते हुए हरिद्वार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को इस मामले की जांच कर 24 घंटे के अदंर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
साथ ही पीठ ने इस मामले में जनहित याचिका दायर कर ली। आज इस प्रकरण में सुनवाई हुई। प्राधिकरण के सचिव की ओर से रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी। रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रैक्टर ट्राली एवं मोटर साइकिल के आपस में टकराने से गांव का एक युवक घायल हो गया।
पुलिस ने युवक को अस्पताल पहुंचाया लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद ग्रामीणों के दो पक्षों ने पुलिस थाना को घेर लिया और पथराव व आगजनी शुरू कर दी। इस घटना में ग्रामीण व कुछ पुलिस कर्मी घायल हो गये। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की ओर से अदालत को बताया गया कि घटना के बाद पुलिस ने कार्यवाही करते हुए 44 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता का गांव से कोई लेना देना नहीं है और अदालत के समक्ष गलत तथ्य पेश किये गये।
उन्होंने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता की ओर से एसएसपी से स्वयं के लिये भी सुरक्षा की मांग की गयी। अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया।