हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नैनीताल। उत्तराखंड में विद्युत दरों में वृद्धि के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने बिजली दरों में वृद्धि पर रोक जारी नहीं की, लेकिन अब इस मामले में 24 मार्च को सुनवाई होगी। देहरादून के आरटीआई क्लब की ओर से दायर जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की अदालत में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) घाटे के नाम पर प्रति वर्ष बिजली की दरों में बढ़ोतरी करता आ रहा है। इस साल भी बढ़ोतरी करने की योजना है।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि ऊर्जा विभाग प्रदेश के 27 लाख बिजली उपभोक्ताओं से विद्युत कनेक्शन के नाम पर सिक्योरिटी मनी में कथित रूप से गड़बड़ी कर रहा है। उन्होंने कहा गया कि विभाग उपभोक्ताओं से कनेक्शन के नाम पर धनराशि वसूल करता है। विभाग की ओर से प्रावधान किया गया है कि उपभोक्ताओं से वसूले इस धनराशि को बैंकों में सावधि जमा (फिक्स डिपोजिट) कर और उससे आने वाले ब्याज से उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत प्रदान करेगा। साथ ही विभाग इससे घाटे की प्रतिपूर्ति भी करेगा।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि लेकिन विभाग प्रावधान के विपरीत उपभोक्ताओं के फिक्स डिपोजिट के नाम पर बैंकों में जमा धन को वापस लेता जा रहा है। अभी तक 1600 करोड़ के फिक्स डिपोजिट को विभाग वापस ले चुका है। जो कि गलत है। इससे न तो उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत मिल पा रही है और न ही विभाग को लाभ हो रहा है। इस मामले में यूपीसीएल की ओर से आज अदालत से जवाब पेश करने के लिये अतिरिक्त समय की मांग की गयी। अंत में अदालत ने याचिकाकर्ता को इस मामले में प्रतिशपथ पत्र पेश करने को कहा है। इस प्रकरण में अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी।
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