एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोपी नैनीताल नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष सचिन नेगी और कार्यकारी अधिकारी (ईओ) आलोक उनियाल को फिलहाल राहत नहीं दी है। अदालत ने दोनों की समीक्षा याचिकाओं को पोषणीय नहीं माना। एक अन्य मामले में अदालत बुधवार को सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने वित्तीय अनियमितता के आरोप में विगत 17 अक्टूबर को नैनीताल नगर पालिका के अध्यक्ष के वित्तीय अधिकार सीज कर दिये थे और ईओ को निलंबित कर दिया था।
अदालत ने जनहित याचिका में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर उठाये गये बिन्दुओं की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश इरशाद हुसैन को सौंप दी थी जबकि झूले के ठेकों में अनियमितता की जांच प्रदेश के मुख्य सचिव के सुपुर्द कर दी थी। अदालत ने मुख्य सचिव से 31 अक्टूबर तक प्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा था। आज अध्यक्ष और ईओ की ओर से दोनों मामलों में चार अलग अलग समीक्षा याचिकाएं दायर की गयीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत से 17 अक्टूबर के आदेश की समीक्षा की मांग की गयी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि मुख्य सचिव की ओर से की जा रही जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है। दोनों ने अदालत से जांच में तेजी लाने की मांग की गयी।
दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि मुख्य सचिव की ओर से जांच के लिये तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। कमेटी की ओर से पूरे मामले की जांच के लिये अदालत से 15 दिन के अतिरिक्त समय की मांग की गयी। अदालत ने अंत में दोनों याचिकाओं को पोषणीय नहीं माना। अदालत के सख्त रूख को देखते हुए दोनों याचिकाकर्ताओं ने याचिकाओं को वापस लेने का अनुरोध किया जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अन्य मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया उनके खिलाफ कार्यवाही करने से पूर्व उनको सुनवाई का मौका नहीं दिया गया है। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। इसलिये अदालत 17 अक्टूबर के आदेश को वापस ले और उन्हें सुनवाई का मौका दे। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिये आगामी बुधवार की तिथि तय कर दी। अदालत ने अध्यक्ष और ईओ को भी अदालत में उपस्थित होने के निर्देश दिये हैं। अब इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगी।