संवाददाता- अरक़म सिद्दीकी
हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/हल्द्वानी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का अग्रणी कैंसर केयर संस्थान मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर, वैशाली ने आज हल्द्वानी में साई हॉस्पिटल के सहयोग से जीआई (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) ऑन्कोलॉजी ओपीडी सेवा शुरू की। इस ओपीडी की शुरुआत अस्पताल द्वारा शुरू की गई एक और मरीज केंद्रित पहल है जहां मरीजों को सुलभ पहुंच और उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी यह केंद्र मरीजों को जीआई कैंसर (पेनक्रियाज, पेट, कोलन, रेक्टम् एनस बिलियरी सिस्टम और छोटी आंत के कैंसर समेत) के लिए विशेषज्ञों की सलाह और उपचार सुविधा उपलब्ध कराएगा।
इस ओपीडी सेवा का उद्घाटन मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर, वैशाली में जीआई और एचपीबी ऑन्कोसर्जरी विभाग के डायरेक्टर और प्रमुख डॉ विवेक मंगला ने किया डॉ. मंगला इस ओपीडी में परामर्श के लिए हर महीने के चौथे गुरुवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक उपलब्ध रहेंगे। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का असर एसोफेगस, पेट, छोटी और बढ़ी आत लीवर गॉलब्लाडर, पेनक्रियाज समेत जीआई ट्रैक्ट तथा पाचन तंत्र पर पढ़ता है। ये कैंसर पेट के किसी भी हिस्से से अल्सर या गांठ के तौर पर उभर सकते हैं और समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो दूसरे अंगों में भी फैल सकते हैं।
सही समय पर इनका निदान बेहतर इलाज की संभावना बढ़ाता है और मरीज के लंबे समय तक जीने की संभावना बढ़ाता है। लेकिन देरी से उपचार का असर न सिर्फ इलाज के परिणामों पर पड़ता है बल्कि जीवन की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इनसे जुड़े मामलों में वृद्धि लोगों में कम जागरूकता को दर्शाती है जिस कारण रोग की शुरुआती पहचान नहीं हो पाती है। यह ओपीढी सेवा शुरू होने से बरेली के लोगों को सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवा मिल पाएगी और हम इन बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ा सकेंगे।
इस मौके पर डॉ विवेक मंगला ने कहा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का असर एसोफेगस, पेट, छोटी और बढ़ी आंत, लीवर, गॉलब्लाडर, पैनक्रियाज समेत जीआई ट्रैक्ट तथा पाचन तंत्र पर पड़ता है। ये कैंसर पेट के किसी भी हिस्से से अल्सर या गांठ के तौर पर उभर सकते है और समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो दूसरे अगों में भी फैल सकते हैं। सही समय पर इनका निदान बेहतर इलाज की संभावना बढ़ाता है और मरीज के लंबे समय तक जीने की संभावना बढ़ाता है। लेकिन देरी से उपचार का असर न सिर्फ इलाज के परिणामों पर पड़ता है बल्कि जीवन की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कैंसर के इलाज के क्षेत्र में हुए अत्याधुनिक शोध और तकनीकी विकास के कारण कैंसर के विभिन्न प्रकारों और लास्ट स्टेज में पहुंच चुके मरीजों में इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है। हाल ही में इन्ही एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से कई मरीजों की जान बचाई जा सकी है। कोरोना महामारी के दौर में मरीजों को इलाज के दौरान कम कम समय अस्पताल में रहना पढ़े इसमें दा विंची रोबोट के जरिए मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी तथा रोबोटिक सर्जरी ने काफी मदद की है।
कैंसर के इलाज में तकनीक अब बहुत अधिक विकसित हो चुकी है और मिनिमली एक्सेसिव पद्धति (छोटे से छेद से दूरबीन पद्धति से) जटिल सर्जरी भी आसान हो गई है। विशेषज्ञ सर्जन पेट के कैंसर लिवर कैंसर कोलन कैंसर तथा ऐसी ही संकरे स्थानों पर बन चुकी कैंसर की गठानों को आसानी से निकाल सकते हैं। ग्लोबोकैन 2020 के हालिया आकड़ो के अनुसार, उस साल कैंसर के जितने मामले भी दर्ज किए गए, उसमें 20% मामले जीआई कैंसरों के शामिल थे। 2.10,438 मृत्युदर साथ 2.55715 नए मामले किए गए थे। कैंसरों पेट का मृत्युदर का एक कारण इसोफेगल कैंसर के बाद 31646 (123%) नए मामलों साथ कलरेक्टल कैंसर महिलाओं और पुरुषों समान से पाया गया।
वैशाली स्पेशलिटी अस्पताल उपाध्यक्ष, बताया हम लोगों शुरूआती निदान महत्व के जागरूक करने कोशिश करते हैं। हमारा उद्देश्य लोगों कैंसर बारे जागरूक करना और उन्हें उचित वातावरण प्रदान करना है। कैंसर सिर्फ मरीज को शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक प्रभावित करता है। कैंसर लड़ने लिए व्यक्ति साहसी होना पड़ता है। इसलिए लोगों इसके लक्षणों बारे जानकारी के साथ शुरुआती निदान लिए नियमित रुटीन चेकअप महत्व को भी समझना मे अधिकतर मामलों मरीज की मृत्यु निदान देर करने से होती है। समय पर स्क्रीनिंग, टीका शुरुआती निदान कैंसर की रोकथाम में अहम भूमिका निभाते हैं।
अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए –
👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें
👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें
हमारे इस नंबर 7351098124 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें