
- मुख्यमंत्री धामी ने दिए विजिलेंस जांच के आदेश, निगम आयुक्त के पूरे कार्यकाल की होगी ऑडिट
देहरादून/हरिद्वार। हरिद्वार नगर निगम में सामने आए बहुचर्चित भूमि घोटाले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रशासनिक व्यवस्था में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल करते हुए मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण में दो आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी समेत कुल दस अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके अलावा दो अधिकारियों का सेवा विस्तार तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय क्षेत्र में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हेक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदे जाने को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए थे। मुख्यमंत्री धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले ही सचिव रणवीर सिंह चौहान को जांच सौंपी थी, जिनकी प्रारंभिक रिपोर्ट 29 मई को शासन को प्राप्त हुई। रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए। कार्रवाई के तहत हरिद्वार के जिलाधिकारी एवं नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी, एसडीएम अजयवीर सिंह, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वैयक्तिक सहायक विक्की, कानूनगो राजेश कुमार और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास को निलंबित कर दिया गया है।
इससे पूर्व प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को भी निलंबित किया जा चुका है, जबकि दो कार्मिकों रविंद्र कुमार दयाल और वेदपाल का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया था। मुख्यमंत्री ने प्रकरण की गहराई से जांच सुनिश्चित करने के लिए सतर्कता विभाग (विजिलेंस) से विस्तृत जांच कराए जाने के निर्देश दिए हैं, जिससे घोटाले में शामिल पूरे तंत्र की पहचान हो सके। साथ ही संबंधित विक्रय पत्र को निरस्त कर भूस्वामियों को दी गई धनराशि की वसूली सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले में नगर आयुक्त वरुण चौधरी के पूरे कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों की विशेष ऑडिट के आदेश दिए हैं। उनका स्पष्ट संदेश है कि लोकसेवा में “पद” नहीं, बल्कि “कर्तव्य और जवाबदेही” सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं है और चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, जनहित और नियमों की अवहेलना पर कठोर कार्रवाई तय है।