हल्द्वानी। नगर निगम चुनावों की आहट के साथ हल्द्वानी में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बार मेयर की सीट के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित होने के बाद मुस्लिम समुदाय को नेतृत्व का सुनहरा मौका मिलता दिख रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश सचिव शराफत अली खान के बयान ने इस बहस को और धार दे दी है। उन्होंने कांग्रेस से अपील की है कि वह मुस्लिम समाज के संघर्षशील और ईमानदार चेहरे को इस महत्वपूर्ण चुनाव में आगे लाए, ताकि समुदाय के बीच पार्टी का भरोसा फिर से कायम हो सके। शराफत अली खान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने आजादी के बाद से ही मुस्लिम समाज का साथ पाया है, लेकिन इस बार उसे इस समर्थन को और मजबूती देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। उनका मानना है कि हल्द्वानी में मुस्लिम समाज के बीच ऐसे कई निष्ठावान और ईमानदार कार्यकर्ता हैं, जो न केवल पार्टी बल्कि समाज के लिए भी समर्पित हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि मेयर पद का उम्मीदवार मुस्लिम समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरे और अन्य वर्गों के समर्थन को भी सुनिश्चित करे। खान का बयान इस ओर इशारा करता है कि कांग्रेस के पास अवसर है कि वह अपने पुराने वोट बैंक को फिर से सक्रिय करे और इसे एक मजबूत राजनीतिक कदम में तब्दील करे। हल्द्वानी मेयर सीट पर मुस्लिम नेतृत्व की संभावना ने कांग्रेस के भीतर एक नई बहस छेड़ दी है। खान का यह भी कहना है कि कांग्रेस को केवल मुस्लिम समाज पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अन्य वर्गों के मतदाताओं को भी साधने की रणनीति बनानी होगी। इससे पहले, कुछ मुस्लिम नेताओं ने मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है, जबकि कई अन्य अपने इरादे साफ करने से बच रहे हैं।

इस संदर्भ में शराफत अली खान का सुझाव है कि पार्टी को एक ऐसा चेहरा चुनना चाहिए, जो न केवल समुदाय बल्कि पूरे समाज के लिए स्वीकार्य हो। मुस्लिम समाज ने हमेशा देश और प्रदेश की मुख्यधारा में अपनी भागीदारी को साबित किया है। संघर्षशील और मेहनती इस वर्ग ने कांग्रेस के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। खान ने कहा कि अब समय आ गया है कि पार्टी इन मेहनती कार्यकर्ताओं को पहचान दे और उन्हें चुनावी मैदान में उतारे। हल्द्वानी मेयर चुनाव न केवल स्थानीय राजनीति बल्कि राज्यस्तरीय समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह मौका है कि वह न केवल मुस्लिम बल्कि अन्य वर्गों के बीच भी अपनी साख मजबूत करे। अब देखना होगा कि कांग्रेस इस दबाव के बीच क्या रणनीति अपनाती है और हल्द्वानी की राजनीति में नया समीकरण क्या आकार लेता है।