एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में प्रस्तावित अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी) के शिफ्टिंग के मामले में संतोषजनक जवाब नहीं देने के मामले में राज्य सरकार को 11 मार्च को मूल दस्तावेज अदालत में पेश करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हल्द्वानी के गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव बिष्ट की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार हल्द्वानी के गौलापार से आईएसबीटी के तीनपानी शिफ्टिंग के मामले में कोई संतोषजनक जवाब पेश नहीं कर रही है।
राज्य सरकार इस मामले में टाल मटोल कर रही है। राज्य सरकार गौलापार में आईएसबीटी के नाम पर अभी तक 11 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है जबकि 2625 पेड़ काटे जा चुके हैं। तीनपानी में टर्मिनल के निर्माण के लिए पेड़ काटे जाने की अनुमति भारत सरकार की ओर से अभी तक नहीं मिली है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि गौलापार आईएसबीटी के लिए उपयुक्त जगह है। इसलिए यहां से शिफ्ट नहीं किया जाना चाहिए। मामले को सुनने के बाद अदालत ने प्रदेश सरकार को 11 मार्च को मूल दस्तावेज अदालत में पेश किये जाने के निर्देश सरकार को दिए हैं।