
एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड की राजनीति में तहलका मचाने वाले ‘शक्तिमान’ का जिन्न फिर बाहर आ गया है और उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि उसने आरोपियों के मामले में अपील दाखिल क्यों नहीं की है। इस मामले में अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।दरअसल 14 फरवरी, 2016 को भारतीय जनता पार्टी की विधानसभा में प्रदर्शन के दौरान ‘शक्तिमान’ नामक घोड़े का पैर टूट गया था और कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई थी। पशु क्रूरता के आरोप में पुलिस ने मंसूरी के तत्कालीन विधायक व केबिनेट मंत्री गणेश जोशी व उनके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेज दिया था।
मामला निचली अदालत में चला और अदालत ने 23 सितम्बर, 2021 को साक्ष्यों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। साथ इस मामले के खिलाफ होशियार सिंह बिष्ट उच्च न्यायालय पहुंच गये और कहा कि अदालत ने तथ्यों की अनदेखी की है और आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं। भाजपा सरकार अपने मंत्री को बचाना चाहती है और यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी। अदालत ने हालांकि लोकस के आधार पर याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाये।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पवन मिश्रा ने बताया कि अंत में अदालत ने सरकार से पूछा कि प्रदेश सरकार ने निचली अदालत के खिलाफ अपील दायर क्यों नहीं की? सरकार को 16 दिसंबर तक जवाब पेश करना है।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 के विधानसभा में ‘शक्तिमान’ का प्रकरण चुनावी मुद्दा बना था और कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर जीव विरोधी होने का आरोप मढ़ा था। इसके बावजूद भाजपा ने चुनाव में बाजी मार ली थी।