हल्द्वानी। उत्तराखंड में पहली बार आधुनिक, पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों को एक मंच पर लाने वाला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन PGICON 2025 भव्य रूप से आयोजित होने जा रहा है। पाल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स, हल्द्वानी द्वारा डब्ल्यूएचओ कोलैबोरेटिंग सेंटर फॉर इमरजेंसी एंड ट्रॉमा केयर (WHO CCET), जेपीएनएटीसी, एम्स नई दिल्ली के सहयोग से यह आयोजन 13 से 15 नवंबर तक काया आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, भुजियाघाट नैनीताल में होगा। सम्मेलन का उद्देश्य सभी चिकित्सा पद्धतियों के संयुक्त ज्ञान को एकजुट कर स्वास्थ्य चुनौतियों के बेहतर और वैज्ञानिक समाधान तैयार करना है।
सम्मेलन में देश भर से 800 से अधिक प्रतिभागी और 100 राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल होंगे। इनमें एलोपैथी, आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी और अन्य वैकल्पिक पद्धतियों के शीर्ष विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे। भारत में पहली बार ऐसा अवसर होगा जब सभी चिकित्सा प्रणालियों के विशेषज्ञ एक ही मंच पर आपात चिकित्सा और स्वास्थ्य प्रबंधन के साझा मॉडल पर विचार करेंगे। इस पहल का उद्देश्य उन लगभग 50 प्रतिशत आपात स्थितियों को कम करना है जो समय पर रोकथाम और सही प्रबंधन न होने की वजह से मौतों व विकलांगता का कारण बनती हैं।

PGICON 2025 का मुख्य केंद्र बिंदु ट्रांसडिसिप्लिनरी ट्रांसलेटरी रिसर्च है, जिसके तहत विभिन्न चिकित्सा ज्ञान प्रणालियों को जोड़कर जटिल रोगों के लिए बेहतर, प्रभावी और वैज्ञानिक समाधान विकसित किए जाएंगे। यह अवधारणा टीम वर्क, साझा सीख और नवाचार को बढ़ावा देती है ताकि व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य प्रणाली को और अधिक सक्षम बनाया जा सके। सम्मेलन में छह प्रमुख पैनल चर्चाएँ होंगी जिनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, लीवर व बाइल डक्ट रोग, गठिया, मधुमेह और श्वसन संबंधी विकार जैसे गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञ इस बात पर भी विचार करेंगे कि कैसे गलत जीवनशैली और उपचार में लापरवाही इन बीमारियों को आपात स्थितियों में बदल देती है और विभिन्न चिकित्सा पद्धतियाँ मिलकर इन जोखिमों को कैसे कम कर सकती हैं।






