एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने देहरादून के सहस्रधारा में पेयजल लाइन बिछाने के मामले में जारी निविदा में हिटलरशाही के मामले में जल संस्थान के अधिशासी अभियंता को फटकार लगाते हुए दस हजार का जुर्माना लगाते हुए निविदा को याचिकाकर्ता के नाम आवंटित करने के निर्देश भी दिये हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में हुई। देहरादून निवासी विजय प्रकाश ने सहस्रधारा में पेयजल लाइन बिछाने जारी निविदा के तानाशाही को लेकर याचिका दायर की थी। अदालत के निर्देश पर अधिशासी अभियंता निविदा कमेटी के सदस्यों के साथ ही आज अदालत में पेश हुए।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि जल संस्थान की ओर से सहस्रधारा में पेयजल लाइन बिछाने के लिये निविदा जारी की गयी। एक मई को निविदा को खोला गया। साथ ही 30 मई को विभाग ने निविदा को बिना कारण बताये निरस्त कर दिया। साथ ही कुछ दिन बाद छह जून को इसी कार्य के लिये पुनः निविदा जारी कर दी गयी। अदालत ने दस्तावेजों के अवलोकन के बाद निविदा को सही पाया और निविदा याचिकाकर्ता के नाम आवंटित करने के निर्देश दे दिये। अदालत ने अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए अधिशासी अभियंता को फटकार लगायी और 10 हजार रूपये का अर्थदंड भी लगा दिया। इस राशि को दो सप्ताह के अदंर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करने के निर्देश दिये गये हैं।