देहरादून। जिला प्रशासन ने एक बार फिर मानवीय संवेदनाओं और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल पेश करते हुए उस बैंक शाखा पर सील ठोंक दी है, जिसने बीमित ऋण होने के बावजूद एक विधवा और उसकी चार नन्हीं बच्चियों को एक साल से मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना दी। मामला राजपुर रोड स्थित सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड से जुड़ा है, जहां स्व. विकास कुमार द्वारा लिए गए ₹6.50 लाख के ऋण के बावजूद, और बीमा होने के उपरांत भी, बैंक और इंश्योरेंस कंपनी ने भुगतान से इनकार किया। मृतक विकास कुमार की पत्नी प्रिया ने 11 जुलाई को जिलाधिकारी सविन बंसल से अश्रुपूरित गुहार लगाते हुए बताया था कि पति की आकस्मिक मृत्यु के बाद बैंक न केवल ऋण बीमा का क्लेम देने से मुकर रहा है, बल्कि उनका घर जब्त कर दस्तावेज भी छीन लिए गए हैं।
बीमा की सभी शर्तों का पालन करने और प्रीमियम भुगतान के बाद भी बैंक ने बीमा की राशि नहीं दी, जिससे चार बच्चियों की मां आर्थिक तंगी से बुरी तरह जूझ रही थी।डीएम ने तुरंत मामले को गंभीरता से लेते हुए बैंक प्रबंधक की ₹6.50 लाख की आरसी काटी और एक सप्ताह की मोहलत दी गई। लेकिन बैंक द्वारा न तो ऋण माफी की प्रक्रिया में सहयोग किया गया और न ही नो ड्यूज सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। आदेशों की अवहेलना और विधवा महिला को मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए सीएसएल फाइनेंस की राजपुर रोड शाखा को सील कर ताला जड़ दिया। अब नियमानुसार उसकी नीलामी की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। जिला प्रशासन का यह एक और ऐतिहासिक फैसला जनहित के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाता है।






