एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के अशासकीय डिग्री कॉलेजों में जल्द ही आरक्षण का रोस्टर तैयार कर रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी तथा न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने ये निर्देश मंसूरी की अशासकीय डिग्री कॉलेज की छात्र अनीशा की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद दिये हैं। उच्च शिक्षा सचिव शैलेष बगौली आज अदालत में वर्चुअली पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि मंसूरी डिग्री कॉलेज का आरक्षण का रोस्टर तैयार कर लिया है। इसे जल्द जारी कर दिया जायेगा। इसके साथ ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
उन्होंने कहा कि अन्य कॉलेजों में रोस्टर तैयार नहीं किया जा सका है, क्योंकि इन कॉलेजों की ओर से इस मामले में सरकार से अभी तक संपर्क नहीं साधा गया है।
इसके बाद न्यायालय ने बगौली से कहा कि सरकार प्रदेश के कॉलेजों में कानूनन रोस्टर का पालन कराये। रोस्टर का पालन कराना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। इसलिये सरकार कॉलेजों की पहल का इंतजार किये बिना आरक्षण का रोस्टर तैयार कर कॉलेजों को भेज दे। इसके बाद कॉलेजों की ओर से जल्द नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जा सके। उच्च शिक्षा सचिव ने सहमति देते हुए कहा कि वह इसे जल्द लागू करेंगे। न्यायलय ने सरकार को निर्देश दिये कि जो कालेज रोस्टर का पालन न करे, सरकार उनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लाये। यही नहीं न्यायालय ने मंसूरी डिग्री कॉलेज में आरक्षण रोस्टर के आधार पर दो सप्ताह के अदंर नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू करने के निर्देश दिये हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि मंसूरी डिग्री कॉलेज नगर पालिका की ओर से संचालित प्रदेश का एकमात्र डिग्री कॉलेज है। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्यता प्राप्त है। यहां 850 छात्र छात्रायें अध्ययनरत हैं, लेकिन 23 अघ्यापकों के सापेक्ष मात्र 09 अध्यापक मौजूद हैं। चौदह शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।