एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड विधानसभा से हटाये गये तदर्थ कर्मचारियों को उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद प्रदेश सरकार मोहलत देने के मूड में नहीं है। अभी तक उन्हें नौकरी पर बहाल नहीं किया गया है। उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद विधानसभा सचिव समेत अन्य पक्षकारों को सोमवार को नोटिस जारी कर दिया। अपर निजी सचिव के पद पर तैनात भूपेन्द्र बिष्ट व अन्य 13 लोगों की ओर से अवमानना याचिका दायर की गयी है। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की पीठ में हुई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय के बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगाते हुए स्थायी नियुक्ति तक उन्हें पद पर काम करने की अनुमति दी थी लेकिन विधानसभा सचिवालय की ओर से उन्हें बहाल नहीं किया गया है। उन्होंने विधानसभा सचिवालय को बहाली के संबंध में प्रत्यावेदन सौंपा है लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। मामले को सुनने के बाद अदालत ने विधानसभा सचिवायलय समेत सभी पक्षकारों को उनके अधिवक्ताओं के माध्यम से नोटिस जारी कर दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 नवम्बर को होगी।
गौरतलब है कि विधानसभा सचिवालय की ओर से 27, 28 व 29 सितंबर को अलग अलग आदेश जारी कर लगभग 288 तदर्थ कार्मिकों को उनके पदों से हटा दिया था। इनमें से 132 कार्मिकों की ओर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया।कई दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद एकलपीठ ने 15 अक्टूबर को अंतरिम आदेश पारित कर सरकार के निष्कासन आदेश पर रोक लगा दी थी। साथ ही सरकार को स्थायी पदों को भरने के लिये प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश भी दिये थे। अदालत ने यह भी कहा था कि तदर्थ कार्मिक नियुक्ति प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं करेंगे। अदालत ने हालांकि तदर्थ कार्मिकों को भी नियुक्ति प्रक्रिया में प्रतिभाग करने की अनुमति दे दी थी।