- 25 जून से नामांकन, 10 और 15 जुलाई को होगा मतदान, आयोग ने जारी किया विस्तृत कार्यक्रम
देहरादून। उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके साथ ही प्रदेश के 12 जिलों में आचार संहिता प्रभावी हो गई है। हरिद्वार को छोड़कर सभी जिलों की ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों में पंचायत चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। चुनाव दो चरणों में होंगे पहले चरण में 10 जुलाई और दूसरे में 15 जुलाई को मतदान होगा, वहीं मतगणना 19 जुलाई को होगी। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने आज प्रेसवार्ता में निर्वाचन की रूपरेखा साझा की। उन्होंने बताया कि इस बार कुल 66,418 पदों के लिए चुनाव होगा, जिनमें ग्राम पंचायत सदस्यों के 55,587, ग्राम प्रधानों के 7,499, क्षेत्र पंचायत सदस्यों के 2,974 और जिला पंचायत सदस्यों के 358 पद शामिल हैं। चुनाव प्रक्रिया के लिए प्रदेशभर में 8,276 मतदान केंद्र और 10,529 मतदान स्थल बनाए गए हैं।

2025 में मतदाताओं की संख्या 47.77 लाख पहुंच गई है, जो 2019 के मुकाबले 10.57% अधिक है। चुनाव ड्यूटी में लगभग 95,909 अधिकारी-कर्मचारी तैनात किए जाएंगे, जबकि 5,620 वाहन संसाधनों की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के मद्देनजर 35,700 सुरक्षा कर्मियों की तैनाती प्रस्तावित है। राज्य की पहली डिजिटल पंचायत मतदाता सूची आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। मतदाता www.sec.uk.gov.in पर सूची देख सकते हैं या अपना नाम खोज सकते हैं। इस बार पंचायत उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि उजागर करने के लिए उनके शपथ-पत्र संबंधित जिलों की वेबसाइटों पर अपलोड किए जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा निर्धारित व्यय सीमा को भी संशोधित किया गया है। ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए व्यय सीमा ₹75,000 तक बढ़ा दी गई है, जबकि जिला पंचायत सदस्य के लिए यह ₹2 लाख निर्धारित की गई है।

आयोग ने मतदाताओं की सुविधा और पारदर्शिता के लिए टोल-फ्री नंबर 18001804280 और ईमेल secelectionuk@gmail.com भी जारी किया है। मतदान और मतगणना की प्रक्रिया सॉफ़्टवेयर के ज़रिए रेंडमाइजेशन प्रणाली से की जाएगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु जब्ती दल, व्यय निरीक्षक, मीडिया निगरानी, और प्रवर्तन टीमें हर जिले में काम करेंगी। साथ ही दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष प्रबंध किए जाएंगे। उत्तराखंड में इस बार का पंचायत चुनाव तकनीकी संसाधनों, पारदर्शिता और निगरानी की दृष्टि से पहले से कहीं अधिक सशक्त और व्यापक माना जा रहा है।