एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने लालकुआं में रेलवे लाइन से सटी नगीना बस्ती से अतिक्रमण हटाये जाने का रास्ता साफ कर दिया है। अदालत ने अतिक्रमणकारियों को झटका देते हुए रेलवे की भूमि को खाली करने के निर्देश दिये हैं। लालकुआं निवासी आँचल कुमार व चार अन्य अतिक्रमणकारियों की ओर से एक याचिका के माध्यम से रेलवे के कदम को चुनौती दी गयी है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ में हुई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि रेलवे की ओर से इसी महीने तीन मई को नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये हैं। वे वर्षों से यहाँ निवास कर रहे हैं और उनके पास मतदान पहचान पत्र के साथ ही अन्य दस्तावेज मौजूद हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से रेलवे की ओर से की जा रही कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गयी। अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अतिक्रमणकारियों से पूछा कि क्या उनके पास अतिक्रमण का मौलिक अधिकार मौजूद है।याचिकाकर्ताओं की ओर से हल्द्वानी की गफूर बस्ती और उच्चतम न्यायालय के पुनर्वास संबंधी आदेश का हवाला दिया गया, लेकिन अदालत याचिकाकर्ताओं के तर्क से सहमत नहीं हुई।
दूसरी ओर रेलवे की ओर से कहा गया कि रेलवे अतिक्रमणकारियों को भूमि खाली करने के लिए कई बार नोटिस जारी कर चुके हैं। रेलवे की ओर वर्ष 2018 में कराये गये सर्वे में 84 अतिक्रमणकारी मौजूद थे जबकि वर्तमान में 4000 से अधिक अतिक्रमणकारी मौजूद हैं। रेलवे की ओर से यह भी बताया गया कि नैनीताल जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने में सहयोग नहीं कर रहा है। जिला प्रशासन को कई बार पत्र भेजे गए लेकिन उन्हें पुलिस बल मुहैया नहीं कराया गया।अधिवक्ता राजेश शर्मा ने बताया कि अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया और रेलवे को कार्यवाही जारी रखने को कहा है।