एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड में प्लास्टिक कूड़ा के उचित निस्तारण व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) को लेकर ठोस पहल नहीं किये जाने के मामले में उच्च न्यायालय ने सोमवार को कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि धरातल पर काम कम और कागजी कार्यवाही अधिक हो रही है। अदालत ने प्रदेश स्तरीय निगरानी कमेटी को भी पक्षकार बनाने और उसे जवाब देने के निर्देश दिये हैं। अल्मोड़ा के जितेन्द्र यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्लास्टिक कूड़े व ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के मामले को जिलाधिकारियों व निकायों की ओर गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। सिर्फ पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी की ओर से जवाब पेश किया गया है। अन्य निकायों व जिलाधिकारियों की ओर से क्या कदम उठाये गये हैं, इस मामले में जवाब नहीं दिया गया है।
अदालत ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि यथार्थ में प्लास्टिक कूड़ा व ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के मामले में प्रदेश में ठोस पहल नहीं की जा रही है। धरातल में स्थिति जस की तस है और इस मामले में सिर्फ कागजी कार्यवाही हो रही है। इसके बाद अदालत ने ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के मामले में 2019 में बनी प्रदेश स्तरीय उच्चस्तरीय कमेटी को दो दिन में पक्षकार बनाने और कमेटी को जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल संवाद स्थापित कर ठोस रणनीति बनाने के साथ ही उसकी रिपोर्ट अदालत में पेश करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने सभी जिलाधिकारियों को भी प्लास्टिक कूड़े को लेकर मॉडल मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने को कहा है। साथ ही केन्द्र सरकार की ओर से जारी गाइड लाइन का अनुपालन व एसओपी में इसमें शामिल करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने सभी जिलाधिकारियों व निकायों को भी निर्देश दिये कि वह 19 अक्टूबर तक अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करे।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि अदालत ने वन विभाग को भी निर्देश दिये कि वह वन पंचायतों के सभी खसरा आनलाइन उपलोड करे और प्रभागीय वनाधिकारियों से कहा कि वह जंगलों में प्लास्टिक कूड़ा के निस्तारण के मामले में ठोस कार्यवाही अमल में लायें। दूसरी ओर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की ओर से अदालत को बताया गया कि उन्होंने देहरादून, रूड़की, हरिद्वार के अलावा सभी नगर निगमों का दौरा कर उन्हें प्लास्टिक कूड़ा के निस्तारण के मामले में ठोस दिशा-निर्देश जारी किये हैं। साथ ही यह भी निर्देश दिये हैं कि पीसीबी आने वाले समय में पर्यावरण क्षति के मामले में निकायों पर भारी जुर्माना लगायेगी।
याचिकाकर्ता की ओर से इसी साल एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि सरकार प्लास्टिक कूड़ा व ठोस अपशिष्ठ के प्रबंधन को लेकर गंभीर नहीं है। नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। जगह जगह कूड़े के ढ़ेर लगे हैं। अदालत की सख्ती के बाद कुछ जिलों में प्लास्टिक कूड़ा व ठोस अपशिष्ठ के निस्तारण के मामले में तेजी आयी है और धरातल पर ठोस कार्रवाई दिखायी दे रही है। नैनीताल व पिथौरागढ़ जनपद इस मामले में आगे दिखायी दे रहे हैं।