हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नैनीताल। उत्तराखंड की राजनीति में तहलका मचाने वाला शक्तिमान का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल गया है। इस मामले में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर देहरादून की न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत को याचिकाकर्ता को समस्त पत्रावलियां उपलब्ध कराने की मांग की गयी है। अदालत ने इस मामले में फिहलाल सरकार से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता होशियार सिंह बिष्ट की ओर से एक याचिका के माध्यम से कहा गया कि 14 फरवरी, 2016 को देहरादून में भारतीय जनता पार्टी के विधानसभा पर प्रदर्शन के दौरान हुई झड़प में घुड़सवार पुलिस में तैनात शक्तिमान घोड़े की टांग टूट गयी थी। बाद में पुलिस ने बलवा करने के आरोप में मंसूरी के तत्कालीन विधायक व केबिनेट मंत्री गणेश जोशी के अलावा प्रमोद बोरा, जोगेन्दर सिंह पुंडीर, अभिषेक गौड़ व राहुल रावत के खिलाफ अभियोग पंजीकृत उन्हें जेल भेज दिया। बाद में हालांकि श्री जोशी समेत सभी लोगों को जमानत मिल गयी।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि देहरादून की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत ने पिछले साल 23 सितम्बर, 2021 को पांचों आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं। निचली अदालत में तथ्यों की अनदेखी की गयी है। इसलिये आरोपियों के खिलाफ पुनः अभियोग पंजीकृत करने और वाद चलाने के लिये उन्हें सीजेएम अदालत से सभी पत्रावलियां उपलब्ध कराये जाने के लिये निर्देशित किया जाये।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उसने इस मामले में सीजेएम अदालत से सम्पर्क साधा लेकिन अदालत ने पक्षकार नहीं होने के चलते उन्हें पत्रावलियां उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि इस घटना को लेकर तब भाजपा और कांग्रेस में बड़ी राजनीतिक खींचतान हुई थी। कांग्रेस ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ पशु क्रूरता के इस मामले को प्रमुखता से उठाया था।
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