हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/केदारनाथ/देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी केदारनाथ धाम की यात्रा में शुक्रवार को अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण और वहां पिछले दिनों सम्पन्न दीपोत्सव का उल्लेख किया और कहा कि भारत में अब अपनी विरासत के प्रति नया आत्मविश्वास जगा है और देश अपने लिए बड़े लक्ष्य निर्धारित कर रहा है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी की चार साल में यह केदारनाथ धाम की पांचवीं यात्रा थी। वह श्रीआदि शंकराचार्य की पुनर्निमित समाधि का उद्घाटन और आदि शंकर की एक शिला से निर्मित प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक सार्वजनिक सभा को संबोधित कर रहे थे। श्री मोदी ने कहा आदि शंकराचार्य का पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित था। उन्होंने इस यात्रा में पर्यटन, अवसंरचना और नागरिक सुविधाओं के विकास की कई पूर्ण सुविधाओं का उद्घाटन और कुछ परियोजनाओं का शिलान्सास किया।
केदारनाथ मंदिर में अभिषेक और पूजन और समाधि में ध्यान के अपने अनुभव को अलौकिक बताते हुए श्री मोदी ने सभा में कहा, आज भारत अपनी विरासत के प्रति आत्मविश्वास से परिपूर्ण है और ,“अब देश अपने लिये बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय-सीमायें निर्धारित करता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ अब हमारी सांस्कृतिक विरासत को, आस्था के केंद्रों को उसी गौरवमय भाव से देखा जा रहा है, जैसा उसे देखा जाना चाहिये।’ उन्होंने कहा, “आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है। अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है। अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा। आज हम यह कल्पना कर सकते हैं कि भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा।”
उन्होंने यह भी कहा, “ समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है।” स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों के योगदान का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम से सम्बंधित स्थानों तथा पवित्र तीर्थस्थलों को जाकर देखें तथा भारत की प्राण-चेतना से परिचित हों।
वर्ष 2013 की बाढ़ में ध्वस्त हो गये शंकराचार्य समाधि स्थल का पुनर्निर्माण प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में किया गया है। उन्होंने इस परियोजना की प्रगति की लगातार समीक्षा और निगरानी की है। आज भी प्रधानमंत्री ने सरस्वती आस्थापथ के इर्दगिर्द चल रहे एवं पूरे हो चुके कार्यों की समीक्षा की एवं उनका निरीक्षण किया।
श्री मोदी ने यह भी कहा कि वह कल दीपावली के पर्व पर सीमा पर अपने सैनिकों के साथ थे ।उन्होंने कहा , “ मैंने त्योहारों की खुशियां देश के वीर जवानों के साथ बांटी है। मैं 130 करोड़ देशवासियों का प्रेम और आशीर्वाद लेकर सेना के जवानों के बीच गया था और उनकी ही भूमि पर आया हूं।”
उन्होंने कहा , “ ये भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बहुत अलौकिक दृश्य है। कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है।”
उन्होंने कहा , “ आज आप सभी आदि शंकराचार्य जी की समाधि की पुनर्स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। आज सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्ति धाम, अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर देश के गणमान्य महापुरुष, पूज्य शंकराचार्य परंपरा से जुड़े हुए सभी वरिष्ठ ऋषि, मनीषी एवं अनेक श्रद्धालु भी देश के हर कोने से केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ हमें आशीर्वाद दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा , “ बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा।
श्री मोदी ने कहा कि इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं।उन्होंने कहा , “ मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की जिम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूँ।”
उन्होंने कहा कि शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित था।
उन्होंने आज के अनुभव को साझा करते हुए रामचरित मानस की चैपाई- ‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’का उल्लेख किया जिसका अर्थ है- कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। मोदी ने कहा ‘बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है।’
उन्होंने कहा कि एक समय था जब अध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था। लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है और जीवन को पूर्णता के साथ में देखता है।आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया है।
प्रधानमंत्री ने सरस्वती आस्थापथ के इर्दगिर्द चल रहे एवं पूरे हो चुके कार्यों की समीक्षा की एवं उनका निरीक्षण किया। बुनियादी ढांचे से जुड़ी जो परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, उनमें सरस्वती आस्थापथ एवं घाट के इर्दगिर्द सुरक्षा की दीवार, मंदाकिनी आस्थापथ के इर्दगिर्द सुरक्षा की दीवार, तीर्थ पुरोहित गृह और मंदाकिनी नदी पर गरुड़ चट्टी पुल शामिल हैं। इन परियोजनाओं को 130 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरा किया गया है।
प्रधानमंत्री ने संगम घाट के पुनर्विकास, प्राथमिक चिकित्सा एवं पर्यटक सुविधा केंद्र, प्रशासनिक कार्यालय एवं अस्पताल, दो अतिथि गृह, पुलिस स्टेशन, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, मंदाकिनी आस्थापथ कतार प्रबंधन और रेनशेल्टर एवं सरस्वती नागरिक सुविधा भवन सहित 180 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी।
उन्होंने कहा कि इसी तरह उत्तर प्रदेश में काशी का भी कायाकल्प हो रहा है। वहीं विश्वनाथ धाम का कार्य त्वरित गति से पूर्णता की ओर है।
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